premlata suthar 08 May 2023 कविताएँ समाजिक 🙏🏻✍🏻 8003 2 5 Hindi :: हिंदी
काँच ना बन रे मानव चोट खाय चटकाए। बनना है तो पाषाण बन तराशे मुर्ति बन जाये ।। आपस में टकरात जो, चिनगारी छुट जात । ओर लागत जो ठोकर, इंसान गिर जात ।। PREMLATA SUTHAR(MISHTI SHARMA)✍🏻🙏🏻 मुश्किलों मे इन्सान को पत्थर की भाती अडिग होकर सामना करना चाहिए ।