राकेश 04 Sep 2023 कविताएँ समाजिक कर्मों का फल, कर्म और भाग्य 8122 0 Hindi :: हिंदी
कर्मों का फल भुगतना पड़ता है, खेती करने से अन्न उगता है, जवानी में आराम करने वाला भूखा रहता है, चोर अपमान सहता है, इंसान फिर भी बुरे कर्म करता है, नशेड़ी का दम घुट घुट कर निकलता है, कर्मों का फल आवश्यक मिलता है। बाबुल बोने पर आम नहीं मिलता है, महापुरुष कि इस बात को कर्महीन भी समझता है, वह कर्महीन होने पर अपमान सहता क्योंकि वह कर्महीन होने का कर्म करता है, कर्म फल से पक्षी जानवर भी नहीं बचता है।