राकेश 03 Sep 2023 कविताएँ अन्य ख्वाहिशें इच्छाएं अरमान 6351 0 Hindi :: हिंदी
कुछ करने की जब थी ख्वाहिश, दुनिया ने ना समझा, जब हमें किसी लायक, कुछ बड़ा करने की जब थी ख्वाहिश, सामने खोदी जब इस दुनिया ने हमारे गहरी खाई। मेरे हुनर को दबाने में पूरी ताकत लगाई, अनजान दुनिया ने दुश्मनी मुझसे पूरी निभाई, हुनर को दिखाने की एक भी पूरी नहीं होने दी ख्वाहिश, कभी बेटी कह कर डोली में बैठाई, कभी बेटा कह कर हुनर को दबाने के लिए छोटी बड़ी जिम्मेदारियां निभाने की कसम खिलाई, सबको खुश करके अपनी ख्वाहिशें भूलाकर जा रहे हैं, हम इस दुनिया से साथ लेकर अपनी ख्वाहिश।