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मजबूरी-इंसान किसी की मजबूरी नहीं समझता

राकेश 06 Sep 2023 कविताएँ अन्य मजबूरी 6974 0 Hindi :: हिंदी

इंसान किसी की मजबूरी नहीं समझता, बस वादा पूरा ना करने वाले को झूठा कहता, खुद क्या कोई इंसान सारे वायदे पूरे करता, अपने को मजबूर समझ कर कभी गलत नहीं कहता।  

जान बूझकर वादा पूरा ना करने वाला, झूठे वादे करने वालों से कभी सुरक्षित नहीं रह सकता, मजबूरी में वादा तोड़ने वाला परमात्मा की निगाह में भी कभी गलत नहीं होता, मजबूरी के दर्शन जीवन में हर इंसान जरूर करता।

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