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सपनों की दुनिया में उलझी रह जाती है

Shivani singh 13 Jul 2023 कविताएँ अन्य 8571 0 Hindi :: हिंदी

अबला नारी

शक्तिहीन, अपराधीत और भयभीत,
धीरे-धीरे संघर्षों में ही गुम हो जाती है।
समाज की जालीम नज़रों से बच्ची,
सपनों की दुनिया में उलझी रह जाती है।

जब तक अपनी शक्ति नहीं खोलती,
वह निर्बलता की रेखा पर चलती है।
उसके अंदर बसती है प्रेम की ज्योति,
पर समाज की दबावों में वो भूल जाती है।

जीवन की भूखी होती है उसकी आँखें,
प्यार और सम्मान की ख्वाहिश में रोती है।
पर वह स्वयं को बाधाओं से बंधती है,
क्योंकि अपने अहंकार में छोटी सोचती है।

धीरे-धीरे जाग उठती है उसकी चेतना,
कि वह शक्तिशाली है, बहुत ही निराश नहीं।
प्रेम और सम्मान की आवाज बुलंद करती है,
और अबला नारी स्वतंत्रता का आग्रह करती है।

सोचो मत उसे कमजोर और दुर्बल,
वह ताकतवर है, अपार विश्वास रखती है।
अपने अंदर की शक्ति को जगाने को तैयार,
वह अबला नारी स्वयं को पुरस्कारित करती है।

चलो मिलकर उसकी मदद करें,
शक्ति और सम्मान के संगीत में उसको जीने दें।
एक समाज बनाने का संकल्प लें,
जहां अबला नारी की महिमा बखाने दें।

इस कविता के माध्यम से, अबला नारी की संघर्षों, उसकी अधिकारों की कमी, उसके व्यक्तिगत और सामाजिक रूप से उठाए जाने वाले मुद्दों को दर्शाया गया है। इसके साथ ही, कविता में उसकी आत्मविश्वास और शक्ति को भी बल मिलता है, जो उसे अपने अधिकारों को पहचानने और समाज में सम्मान की मांग करने के लिए आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

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