पिन्दु कुमार 13 Oct 2023 कविताएँ दुःखद सुनसान जगह 7788 0 Hindi :: हिंदी
मैं जिस जगह पे, रहता था । वहाँ न कोई आता - जाता । चारों तरफ जो, थी सूखी नदियाँ न था उसमें थोड़ा सा भी पानी खेत - खलिहानों में फसलें न थी । पड़े रहते थे, उसमें दरारें हरियाली का मंजर न था । न पक्षियों की देती थी - चहचहाट की सुनाई न सुबह सवेरे वांग देता मुर्गा टूटी . फूटी वो जो सड़कें थी। उसमें था बड़ा -बड़ा सा गड्डा बरसा के दिनों में, भर जाता था उसमें पानी आने - जाने में करना पड़ता - मुश्किलें का सामना युवा लेखक - पिन्टु कुमार