रोhit Singh 01 Jul 2023 कविताएँ समाजिक #रोhitsingh #poetry #poem #Hindi 5620 0 Hindi :: हिंदी
ये कसमें ये वादें ना दिया कर सारे टूट जाते हैं....! जरा सी गलतफहमियों में ही अपने रूठ जाते हैं....! यूं तो भागते दौड़ते गुज़र रहा है वक्त अपने सफ़र में...! बहुत कोशिश के बाद भी सुकून के पल छूट जाते हैं...! यहां बारिश बहुत कम होती है। यारों खुशियों की...! परेशानियों का पोलूशन इतना है कि जमी भी सूख जाते हैं....! वैसे तो बहुत से ख्वाहिशों के चिल्लर हैं मेरे गुल्लक में...! पर नोट बनने के चक्कर में गुल्लक भी फूट जाते हैं...! यहां जिंदगी का बाजार चलता हैं बड़ा अफरातफरी में....! जरा सा संभल के ना चलों तो अपने ही लूट जाते हैं....! - रोhit Singh...✍️