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उजला तन किस काम का-काला जब हो सोच

संदीप कुमार सिंह 18 Nov 2023 कविताएँ समाजिक मेरे यह कविता समाज हित में है।जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभांवित होंगे। 6418 0 Hindi :: हिंदी

#विधा:-दोहा छंद 
#"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत"
उजला तन किस काम का,काला जब हो सोच।
ऐसे  जन सब ही यहाँ,करते रहते नोच।।

उजला तन किस काम का,जिसको हो संदेह।
खुद ही वह बर्बाद हो,जाने कभी न नेह।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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