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जीवन की फुलवारी से

Sudha Chaudhary 18 Jun 2023 कविताएँ अन्य 8836 0 Hindi :: हिंदी

खिलती है जीवन की कलियां,
अनुराग भरी इस क्यारी से।
कब, कौन छूट जाएं
जीवन की फुलवारी से।

जग में छाया है अन्धकार,
जिसने रौंदा है बार बार।
हमने भी लड़ा  हर  क्षण से,
होता ही गया हर बार हार।

कुछ तो नहीं आकाश कुसुम,
कुछ पा लेना ही जीना है।
अंजान व्यथाएं है अपनी,
लगता है इसे भी पीना है।

अश्रु नहीं अभिलाषा थी ,
पर मिला वहीं भर भर कर ।
तन मन के मधुर स्वप्न में,
सब खोया रह रह कर।

सुधा चौधरी
बस्ती

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