ROHIT YADAV 17 Jun 2023 कविताएँ समाजिक Google 8936 0 Hindi :: हिंदी
वक्त हर वक्त आगे को चलता रहा दरिया सागर की ओर बहता रहा है सफर है अलौकिक चलती है सृष्टि दिन -रात का सिलसिला बदलता रहा है मगर एक तू है सदा शाश्वत है तूफान भी आखिर में हारता रहा है विचित्र है बड़ी अलौकिक ये दुनिया जीवन सत्य ही बस यहाँ रहा है