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कुछ टूट गया, कुछ फूट गया। माटी का ,खिलौना रूठ गया।। तन लूट रहा, मन मौन रहा। छाती से वजन, सा छूट गया।। न राम मिला ,न श्याम मिला । न जाने मैं read more >>
ये है मेरा फैसला, क्या है तेरा फैसला? टूटने न देंगें रिश्तों का डोर, चाहे जमाना कुछ भी कहे। जमीं खामोश है, फलक बेजुबान है । है कड़ी इंति read more >>
जो बीता है ना वह बात गया , समझो तुम जो शुरू किए थे संग उसके शुरूआत गया, यार वह प्यारी, उसकी बातें सारी ,कितनी याद दिलाती हैं , दूर हो गई कोई read more >>
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