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मानव मुस्कान भरो मन में जीवन नीरस न बनने दो, किसलय कुसुम सा खिलने दो, भार बनो न धरती का, जज्बा रखो कुछ करने का, भौंरे गुनगुनाने दो कानन म read more >>
कल से कल तक ले आज खड़ा हूं हर युग हर पल कण-कण में पड़ा हूं राग रागिनी निडर निर्भय हूं घात अघात घातक प्रलय हूं क्योंकि मैं समय हूं | ह read more >>
रात भयानक थी काली न निशाकर की कर की जाली सांय सांय सन्नाटा की ध्वनि फैली तरु की डाली डाली निशीथ सघन काले धन की read more >>
खींच खींच ले मन को जाते मीत मनोहर वे बन जाते , उमड़- घुमड़ कर आगे पीछे उड़ते बादल कहां को जाते | कुछ नाचते खुशी मनाते कुछ के आंसू झर झर जा read more >>
मुन्तशिर होकर जुड़ा हूँ छूट टुकड़े कुछ गए बस उन्हीं के बिन अधूरा ढूँढ़ लाओ दोस्तो।। ये मता'-ए-ग़म न जन्नत में नशीब हो पायगा इसलिए जब भी मिल read more >>
मैं चमकती धार युक्त तलवार हूँ प्यासी हूँ लहू की जैसा कहा करते सभी मैं नहीं हूँ देखती अपना पराया उच्च है या निम्न मेरी बला से घाव देती read more >>
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