आकाश अगम 29 Jan 2024 ग़ज़ल अन्य #havakakhauf #kavita #shayri 8681 0 Hindi :: हिंदी
हवा का खौफ़ है पर ख़ुद को आज़माने दे चिराग़ बुझ गए हैं जो मुझे जलाने दे हयात यूंँ भी ज़मीनों से तंग है साक़ी तेरी निगाह के प्याले में डूब जाने दे ख़ुदा नवाज़ मुझे शक़्ल परिंदे की फिर किसी अनाथ की डाली पे चहचहाने दे मुझे भी चाहिए मंज़िल का दर मगर पहले मेरा ज़मीर गिरा है मुझे उठाने दे