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आकाश अगम

आकाश अगम

आकाश अगम

@ aakash-agm
, Uttar Pradesh

जीवन की इस आपाधापी में बिखरती जा रही श्वांसो को समेटने की कश्मकश में भरभराते कंठ से गुनगुनाता एक लड़का, जिसे लगता है कि जिस दिन पूरी तरह से कवि हो जाएगा, मर जाएगा वो और जी उठेगी उसकी मनुष्यता!

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My Articles

मैं देख रहा हूं दिन भर सूरज की आँखों से तप कर शीतल संध्या से नज़रें मिलाती सड़क पर दौड़ रहे कुछ लड़कों को मगर मैं नहीं जानता कि इनमें क read more >>
मैं अमीर हूं इतना कि अपने भीतर सारी दुनिया को पनाह दिए रहता हूं और ग़रीब हूं इतना कि अपने लिए ही जगह नहीं एक कोने भर भी! read more >>
तुम जा रही हो ये तुम भी जानती हो और मैं भी पर एक बात सिर्फ़ मुझे ज्ञात है जो यह है कि तुम सिर्फ़ जा नहीं रही हो बल्कि जा रही हो छोड़ कर मु read more >>
कब तक निहारूं तुम्हें मेरी लघुता का भान कराते इस आकाश में कब तक करूं महसूस तुम्हें मेरे आंसुओं को निर्ममता से मुझसे छीनने वाली, मुंह read more >>
इन हवाओं से मारे हुए दीप को प्रेम की लौ से प्रियतम जला दीजिए मेरी बेहोश आँखों को आँखों से ही मुक्ति की कोई मदिरा पिला दीजिए। नेह की read more >>
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