Ranjana sharma 28 Sep 2023 कविताएँ दुःखद आवाज देकर तुम कहां छिप गए#Google# 10399 0 Hindi :: हिंदी
आवाज देकर तुम कहां छिप गए हम तो तेरी राह में कब से खड़े हैं साथिया अब तो आसमां भी काली चादर ओढ़े खड़ी हो गई मेरे सर पे पर तेरा चांद - सा चेहरा अब तक क्यों ना दिखा मुझे इस चांदनी की बिखरी रोशनी में पिया नैनन भी मेरी,तेरी राह तकते - तकते थक गई अब तो दिल भी टूट रहा है और आस भी छूट रही पर तेरी खबर ही नहीं तू कहां रह गया माहिया अब तो अनेकों तारे भी टिमटिमाने लगी आसमां में पवन भी अपनी रुख बदल ली चकोर भी अपने चांद को देख इतराने लगा पर मेरे चेहरे की उदासी क्यों नहीं हटी अब तक मेरे बैरिया क्यों तू इतना हठी बन चुका है क्या तुझे मेरी पीड़ा नजर नहीं आ रही आ जा अब ऐसे ना मुख मोड़ मुझसे देख कहीं मैं तेरे इंतज़ार में बन ना जाऊं बावरिया धन्यवाद