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कब तक निभाऊं संबंध

आकाश अगम 23 May 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #poetry #akashagam #kavita 8243 0 Hindi :: हिंदी

कब तक निहारूं तुम्हें
मेरी लघुता का भान कराते
इस आकाश में
कब तक करूं महसूस तुम्हें
मेरे आंसुओं को निर्ममता से
मुझसे छीनने वाली, मुंह चिढ़ाती,
चंचलता से भरी इस हवा के स्पर्श में
कब तक पाऊं मिलन का सुख
अश्रुपूरित नेत्रों से देख कर पक्षी-युगल को
कब तक निभाऊं संबंध
हृदय में फांस-सी चुभती
तुम्हारी मनहर सुधियों से
कभी आकाश कभी हवा
 तो पक्षी-युगल कभी
क्यों अनिवार्य है 
हमारे मध्य 
उपस्थिति 
किसी तीसरे की
कभी तुम स्वयं क्यों नहीं आते!

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