आकाश अगम 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #मामू मत बनाओ दोस्तो #ग़ज़ल #Ghajal #हिंदी कविता #आकाश अगम #Akash Agam 42789 0 Hindi :: हिंदी
मुन्तशिर होकर जुड़ा हूँ छूट टुकड़े कुछ गए बस उन्हीं के बिन अधूरा ढूँढ़ लाओ दोस्तो।। ये मता'-ए-ग़म न जन्नत में नशीब हो पायगा इसलिए जब भी मिले दिल से लगाओ दोस्तो।। क्यों नदी ही बारहा जा कर समंदर से मिले कर जुगत कोई समंदर को बहाओ दोस्तो।। मुतमइन वो है कि मेरा मिट चुका नाम-ओ-निशाँ आसमां में इक सितारा भी दिखा दो दोस्तो।। सीख दी पहले नहीं ईमान खोना, मान ली तब गधा उनके लिए , हद है, बताओ दोस्तो।। बे-सबब इस ज़िन्दगी में क्या रखा पागल 'अगम' बोल कर यह और मामू मत बनाओ दोस्तो।।