Santosh kumar koli ' अकेला' 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक परदा 86377 0 Hindi :: हिंदी
किसे कहता, किसे सुनाता। किसे इशारा, किसे बुलाता। किससे नाता, किससे निभाता। क्या कहता, क्या समझाता। बिकता जो दिखता नहीं, दिखता, जो बिकता नहीं। कभी-कभी, है, जो दिखता नहीं। मुख मूल मिलता नहीं, मुखौटे पर मुखौटा। दिखता है जहाज़, निकलता है बौता। निकलता है खादर, दिखता है भौटा। दिख रहा खोटा, कुंदन रहा लौटा। बिकता नहीं बिकाऊ, टिकाऊ, टिकता नहीं। कभी-कभी, है, जो दिखता नहीं। अंदर क्या है, क्या है बाहर। अंदर भेड़िया, दिखता जो नाहर। अंदर गांजा, दिखता राहर। होता प्यार प्रसाद, दिखता आहर। उघाड़ा दिखता नहीं, छिपाते, छिपता नहीं। कभी-कभी, है, जो दिखता नहीं। है, जो दिखता नहीं।