वह दारूण दर्शय देख- देख कर आंखे नम हो रही है,
मेरे दिल में उनके लिए दया की लहरें उमड रही है,
कल तक थे जो आजाद परिंदे वो आज गुलामी में जकड रह read more >>
खींच खींच ले मन को जाते
मीत मनोहर वे बन जाते ,
उमड़- घुमड़ कर आगे पीछे
उड़ते बादल कहां को जाते |
कुछ नाचते खुशी मनाते
कुछ के आंसू झर झर जा read more >>