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आकाश अगम

आकाश अगम

आकाश अगम

@ aakash-agm
, Uttar Pradesh

जीवन की इस आपाधापी में बिखरती जा रही श्वांसो को समेटने की कश्मकश में भरभराते कंठ से गुनगुनाता एक लड़का, जिसे लगता है कि जिस दिन पूरी तरह से कवि हो जाएगा, मर जाएगा वो और जी उठेगी उसकी मनुष्यता!

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छोड़ते विष बाण , जलती क्रोध रूपी आग प्रतिक्रिया दे कर लगा लूँ स्वयं यश पर दाग राग बिन, मुख से निकलता अनवरत ही फाग नष्ट हो जाता हृदय से उस read more >>
तुम्हारा दे न पाया साथ खुल कर चला हर बार मैं रस्ता बदल कर मग़र मुझको लगी छोटी सी ठोकर कहा तुमने, "मेरे यारा सम्भल कर" मुझे शर्मिंदगी read more >>
मुझे चद्दर ओढ़ाने को तुम आओ खुली छत पर ठिठुरना चाहता हूँ।। बहुत कर लीं हैं बातें बैठ पर अब तुम्हें बाहों में भरना चाहता हूँ।। करो तु read more >>
कोई नहीं है कितनी बार कहा मेरे दिल में कोई नहीं है मग़र तुम हो कि मानते ही नहीं हाँ रोती हूँ , अकेले रहती हूँ, चुप रहती हूँ पर इसका मतल read more >>
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