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Santosh kumar koli ' अकेला'

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My Articles

ये, दुनिया ढोल की पोल। सुंदर महल, षड़यंत्र अखाड़े। जितने पोले, उतने बजते नगाड़े। सीधे दिखने वाले, ज़्यादा करते कबाड़े। जितने दिखते आ read more >>
वचन की आड़ कैकयी, मांगी वनवास रघुवर का। महाबलि बालि को मारा, राम ले परदा तरुवर का। इच्छा मृत्यु भी मृत्यु मांगे, परदा शिखंडी तुवर का। स read more >>
किसे कहता, किसे सुनाता। किसे इशारा, किसे बुलाता। किससे नाता, किससे निभाता। क्या कहता, क्या समझाता। बिकता जो दिखता नहीं, दिखता, जो बिकत read more >>
यह है विषमता का जाम। पी -पी पागल हो रहे, दुनिया के लोग तमाम। जो गंवार हैं, वे शुद्ध गंवारू रूप में पीते हैं। पढ़े-लिखे थोड़ा, पानी मिला ल read more >>
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