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Santosh kumar koli ' अकेला'

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My Articles

अध सच है, आधा खाली है गिलास। पूरा सच है, आधा भरा, कहता कोई काश। मिलता है हार का हार, हार जाता हूं करते प्रयास। पूरा सच है, प्रयास में, कमी read more >>
मेरे पड़ोस में एक परिवार रहता है। रमेश जो कि परिवार के मुखिया हैं, उनका खुद का व्यवसाय है। उनका नाम उस गांव के सभ्य परिवारों की अलिखित स read more >>
ऋतु मिज़ाज घटी सरदी, वर्षा तप्ति है आज औलाद पीर हारता बादशाह हारे फ़क़ीर ख़ैरात नहीं गौ वंश अधिकार दो सरकार read more >>
बेटे को समझ नहीं आता, भाव बाप होने का। समझता जब बनता बाप, क्या डर है फिर खोने का? बहू समझ नहीं पाती, भाव सास होने का। खुद बनती सास तब समझत read more >>
बनता योग, कुयोग, वक़्त का। बदलते तख्त़नसीन, तख्त़ का। कुयोग से संवलित, मिलता गर्द में। सुयोग का संवारा, चमकता इतिहास फ़र्द में। कइयो read more >>
कोई रोटी हलाल की, कोई हराम की खाता है। कोई रोटी बेचकर, कोई खरीदकर कमाता है। कोई मारकर, कोई बचाकर, रोटी जुगाड़ बिठाता है। कोई ज़ोराज़ोर read more >>
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