संदीप कुमार सिंह 13 Jul 2023 शायरी समाजिक मेरी यह शायरी समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5016 0 Hindi :: हिंदी
(शायरी) प्रार्थना भी बेकार साबित हो जाते हैं, कोशिश का दामन थामे बढते जा रहा हूं। मायूसी का आगमन जोर_शोर से होता है, कुछ शुद्ध आत्माओं के सहारे जी रहा हूं। बहुरंगी जीवन के खेल में तमन्नायें जवां है, हौसला को रोज तूफ़ानी हवा दे रहा हू। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....