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बढ़ती गरीबी

Pinky Kumar 30 Mar 2023 आलेख समाजिक 5635 0 Hindi :: हिंदी

आज के समय में गरीबी और अमीर कि खाई इतनी बढ़ चुकी है। कि गरीब और गरीब होता जा रहा है। और अमीर और अमीर होता जा रहा है। गरीबी का अर्थ है। कि सामन्य आदमी अपनी मूल भूत आवश्यकताओं से वंचित रहना जैसे रोटी, कपड़ा, मकान, दवाईया , आदि मूल भूत आवश्यकताओं से एक गरीब इंसान वंचित रहता है। आज मे देश कि बढ़ती गरीबी पर बात करूगी और आजादी से लेकर आज तक देश में क्या बदला है।  में बताती हुँ सरकारे बदली है। और कुछ नहीं जिहा जितनी सरकारे बदली शायद उतना तो विकास ही नहीं हुँ इस देश में जो भी सरकार आती है। बस वोट लेकर चली जाती है। अगर देखना है तो हमारी देश की सड़के देख लो और फुट पात देख लो सब पता चल जायेगा कि कितना बढ़ला हैं। में देश कि बुराई नहीं कर रही हूँ में सच कह रही हूँ जो सच है में उस पर बात कर रही हूँ जो हम सबको  करनी चाहियें पर हम उस बात को किसी गरीब को 10₹ देकर दबा देते है। हम नहीं बोल पाते है। आखिर क्यों  कि हम में से आगे बढ़ ही नहीं पाते है। और सरकार वोट से आगे नहीं बढ़ पाती है। और आज के समय में सरकार मन्दिर और मजिस्द धर्म से आगे नहीं बढ़ पाती है। इसका कारण बढ़ती देश कि आर्थिक, सामाजिक और सरकार कि बीगड़ती अर्थवस्था है। लालच सबसे बुरी है। जरूरी नहीं कि आज इस समय जो आदमी आपका साथ दे रहा है। क्या पता वही आगे सता के लालच में आकर आपको ना जानने का नाटक करे बढ़ती गरीबी से अशिक्षा, बेरोजगारी, भुखमरी, चोरी, हत्या जैसे अपराधो को भी अंजाम मिलने लगे है। पर सरकार का क्या आज धर्म के नाम पर तो कल कोई नया मुदा लेकर आजायेगे जनता के सामने आजदी से पहले अग्रेजो ने लुटा इस देश को और आजादी के बाद नेता लोगो ने अपने हाथ में लेली कमान गरीबी किसी धर्म कि मोहताज नहीं होती उसके लिये वही धर्म बड़ा है। जहाँ से उसे दो वक्त का खाना मिल जाये और ऐसे ही लोग दो वक्त का खाना पाने  के लिये ना जाने ऐसे कितने अपराध करते होगे सरकार से इन मुद्दो पर बात करनी चाहिये पर नहीं हम तो मन्दिर बनतायेगे धर्म पर लड़ाई करवायेगें क्योंकि हमें अभी सता में रहना है। और हम जनता सरकार से कभी पुछते ही नहीं है। और बढ़ती देश कि मंहगाई ने सब कि कमर तोड़ दी है। बस पाकिस्तान के पिछे पड़ गये है। हाथ धोकर अरे पाकिस्तान कि महंगाई छोड़ो अपने देश में देख लो या पर कोई सोने कि बारीश नहीं होती है। यहा पर भी वही हाल है। जनाब बेरोजगारी, गरीबी, मंहगाई, चोरी डकेती, हत्या बलात्कार ऐसे ना जाने अपराध खुले आम हो रहें हमारे देश में कोई किसी को कही पर भी गोली मारी जारी है। इन्हे गुन्डो को पालता कौन है। सरकार ही तो पालती इन्हें सरकार ही इन्हें बढ़ावा दे रही है। सरकारो का काम यही है। धर्म को धर्म से लड़वाना और हम जनता अन्धे होकर इस लड़ाई में एक दुसरे को मारे खड़े हो जाते, गराबी के कारण देश में अशिक्षा, बेरोजगारी,  भूखमरी, हत्या चोरी जैसे अपराध कर बैठते है। अपनी भूख मिटाने के लिये लोग कुछ पैसो के लिये किसी कि हत्या भी कर देते है कभी - कभी तो लोगो के घरो में चोरी कर लेते है। यही छोटे अपराध से ही बड़े अपराधो के अनजाम दे बैठते है जैसे किसी कि हत्या कर  देना किसी को किडनैप कर लेना और इन्ही अपराधो से वह आतंकवाद को अंजाम देते है अशिक्षा के कारण लोगो में जनसंख्या संबंधित अज्ञान रहता है। और इस कारण लोगों को यह पता नही रहता कि बच्च कितने पेदा करने चाहिये जिसके कारण देश कि आदी अबादी अक्षिशा के कारण जनसंख्या को बढ़ाता देती है।  अशिक्षा के कारण लोगों में सही बातो को लेकर या में कहूँ कि सोचने कि क्षमता सिमित हो जाती  उन्हें अच्छे बुरे कि पहचान नहीं होती उनके लिये क्या गलत है। और क्या सही उन्हें पता नहीं होती है। बढ़ती जनसंख्या के कारण बेरोजगारी भी बढ़ती है। क्योंकि उनके पास   आजीविका के कोई सांधन नहीं होते इस लिये आधे से ज्यादा लोग सरकार पर निभर होते है। इस कारण लोग बेरोजगार होते जा रहे है। आखिर सरकार इतने लोगों को एक साथ नौकरी कैसे दे सरकार को इसका समाधान करना चाहियें सरकार को अनावश्यक जनसख्या को नियंत्रण कानून लाना चाहिये ताकी लोग बच्चे कम पेधा करे और लोगों को बढ़ती जनसंख्या के दुष परिणामों के बारे में जागरूक करना होगा और मूल भूत शिक्षा सबके लिये आवश्यक  है यह जागरूकत अभियान चलाना चाहियें और कुछ स्तर पर सरकार काम करेगी और कुछ पर हम जनता को समझना पड़ेगा कि क्या सही है। क्या गलत आज के आधुनिक युग में हम अपने बारे सब जानते और स्मार्टफोन तो सभी यूज करते है। हम फौन के द्वारा हम सभी आवश्क बातो के बारे में पता लगा सकते है। ज्ञान से कोई भी वंचित नहीं अगर वंचित है। तो हमारा मन हमारा दिमाक हम अपने बारे में अच्छा बुरा सब जानते है। बस कमी है। तो हमारी गरीबी में पेदा होना गुनाह नहीं है। पर गरीब बनकर रह जाना हमारी गलती है। भगवान ने सबको दिमांक बराबर दिया बस कमी है। अपनी सोच को एक सही दिशा देना और सरकार से में बार - बार यही कहूँगी कि कृपा करके धर्म कि राजनिती करना बंद करे देश के सामने जो समस्या है। उसकी बात करे जो मुदे है उस पर बात करे यही बात में अपने हर लेख में करती हू बन्द करे सरकार कि झूठी वहा वाही करना हमारे देश में बेरोजगारी इतनी बढ़ गयी है। कि देश कि मिडिपा भी सरकार कि होकर रह गयी है। में कुछ चुनीदा मिडिया कि बात कर रही हूँ सभी कि नहीं तो कृपा करके बुरा ना माने यह गरीबी भारत तक ही सिमित नहीं है। में यहाँ कुछ चुनिदा देशों के नामा लिख रही है। जो गरीबी कि मार झेल रहे है जैसे हैती, जिंबाब्वे, स्विट्जरलैंड, इरिट्रिया , कांगो, मेडागास्कर, बुंरुडी ऐसे और भी है। जो गरीबी कि मार झेल रहे है इन देशों कि यह हालत है  किचड़ में से खाना ढूंढ कर खाने पर मजबूर है। गरीबी कि समस्या कोई एक देश से सम्बंधित नहीं यह समस्या  विश्व स्तरीय समस्या है। यह देश अपनी मूल भुत आवश्यकताओं से वंचित है। इन्हें अपना रोज का खाना भी नसीब नहीं है। यह समझने कि बात है। क्या भारत इसमें शामिल होना चाहता है। आज यह समस्या आपको छोटी लेगे पर हर चिज कि शुरुवात छोटे से ही होती है और ना जाने कब अपना बड़ा रूप लेले पता ही नहीं चलता इस लिये समय रहते हुये इस समस्या पर ध्यान दे अगर मेरे लेख मे कोई गलीत हो तो कप्या मुझे क्षमा करे🙏

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