Pinky Kumar 07 Apr 2023 आलेख समाजिक 4816 0 Hindi :: हिंदी
आजादी यह शब्द सुन्ने बहोत अच्छा लगता है। पर आज के समय में इस शब्द का अर्थ गलत ले रहे है। लोग मन में आये जैसा व्यहार कर रहे है। कानून तोड़ते है।पब्लिक प्लेस पर जो नहीं करने वाली हरकते होती है वह भी वह खुले आम करते है हमारा देश संस्कृति और मर्यादो वाला देश है। अगर इसमें कुछ गलत होता भी हे तो लोग इसका विरोध करते है। मुझे नहीं पता उस मेट्रो वाली लड़की कि क्या ऐसी मजबुरी रही होगी वह यह सब करके किस चिज का विरोध कर रही थी पर हाँ यह एक तरह से गलत है विरोध सही तरह से भी तो किया जा सकता है। विरोध करने एक अलग तरीका होता है। पर यह तरीका गलत है। उस एक लड़की के वजह से सारी लड़कियों पर उंगली उठेगी सारी लड़कीयो को एक नजर से देखा जायेगा अगर हमें जो आजादी मिली हैं तो इसका सही इस्तेमाल करो इसका सही फायेदा उठाओं एक गलत काम करके पूरी लड़की समाज को बदनाम करना गलत है। आज के समय में लोगों के अन्दर पाश्चात्य सभ्यता का विकास हो रहा है। वो भी उपरी बातो को लोग अपना रहे उनके ज्ञान को कोई नहीं मान रहे है इसी कारण अधुरा ज्ञान हमेशा नकुसान देह होता है। देश के लिये पहले तो कहते है कि हमें किसी भी चिज का आजादी नहीं मिलती हमें आजादी चाहीये और अब हमें आजादी मिल रही है। तो हम इसका गलत इस्तेमाल कर रहें है। एक महिलायें वह होती है। जिन्हें आजादी नहीं मिलते हुए भी अपने सपनों को साकार करती है। और आज हमें जितनी आजादी मिल रही है तो हम उसका गलत इस्तेमाल करते है। जब इंसान को आजादी नहीं मिलती है तो वो कही ना कही अपना रास्ता बना लेता है। पर जब उसे वही आजादी बिना किसी मेहनत के मिल जाती है तो उसका वह गलत इस्तेमाल करता है। इस लिये कुछ हद तक पाबन्दि सही है ताकी आप अपना रास्ता खुद बना सको हम जितने भी बड़े कामयाबी महिलाओं को देखते है कि उन्होंने किसी ना किसी चिज कि पाबन्दि थी पर उन्होंने उस पाबन्दि और उस सोच से बाहार निकले में पूरी जीजान लगा दि तब जाके उन्हें वह पद मिला जिसके लिये वह दिन रात मेहनत किया करती थी पर आज के समय में ऐसा नहीं है। कुछ लड़कीया और कुछ लड़के अपनी आजादी का गलत फायेदा उठाते है। पढ़ाई के नाम पर गलत काम कर रहें होते अपना जिवन खराब कर रहें होते है। घर वाले कितनी आस पर जी रहे होते है। कि हमारा बच्चा या बच्ची नौकरी लगेगे और हमारा साहारा बनेगें पर जब यह पता चले कि हम उनकी अच्छाई का गलत फायेदा उठा रहें है। तो उन्हे बोहोत दुःख होता है। आपके पिछे वो अपनी जीवन कि सारी पुंची लगा देते है पर हम कैसे समझे इस बात को क्योकि हमें यह सब सारी सुख सुविधा आसानी मिल रही होती है। इस कारण हमें अपनी जिन्मेदारीयो का अहसास नहीं रहता है। मापा - पिता का सहारा बनो बोझ मत बनो उन्होंने हमें बड़े नाजो से पाला है। हमारे पिछो उनके सपने होते है। उनकी इच्छाये जिन्दा होती है। और हम उनके सपने को यूही तोड़ रहे होते है। जो कि बोहोत गलत बात है। जब हमारे खुद पर यह बात बितेगी तब पता चलेगा कि क्या होती जिम्मेदारी कैसे कमाया जाता है। और हम अपने माता - पिता सपना तोड़ रहे है। आजादी चाहे देश से मिली हो या घर से दोनो का ही गलत इस्तेमाल मत करों यह दोनो ही हमारे लिये बहोत जरूरी है। समझने कि बात समझो अगर कोई चिज हमें आसानी से मिल रही है तो समझो उसकी किमत बहोत ज्यादा है। धन्यवाद
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