Poonam Mishra 04 Aug 2023 आलेख समाजिक श्री कृष्ण भगवान मूर्ति की स्थापना 6647 3 5 Hindi :: हिंदी
बहुत पुरानी एक मान्यता है लगभग उस समय की है जब औरंगजेब ने अपनी धार्मिक नीति के कारण भारत के बहुत से मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया था इसी के तहत मथुरा की सबसे प्राचीन व गौरवशाली मंदिर किस जन्मस्थली मंदिर को भी तोड़ दिया गया था इस घटना के बाद वहां के आसपास के मंदिर के पुजारी डर गए और वह अपने अपने मंदिरों के मूर्तियों को बचाने में लग गए उसी समय बल्लभ संप्रदाय का एक प्रमुख मंदिर था जहां के पुजारी गोस्वामी दामोदर जी तथा उनके चाचा गोविंद श्री कृष्ण भगवान की मूर्ति को उठा लिए और उसे लेकर के दर बदर भटकने लगे कि कोई मेरी इस मूर्ति की सुरक्षा करें श्रीनाथजी की मूर्ति को लेकर दोनों राजस्थान की तरफ चले गए परंतु कोई भी राजा उस मूर्ति को लेकर के अपने राज्य में स्थापित करने को तैयार नहीं हुआ क्योंकि उन्हें औरंगजेब की धार्मिक नीति का पता था और वह बहुत डर गए थे जब यह दोनों मेवाड़ के शासक राम सिंह के पास पहुंचे तो उन्होंने श्री कृष्ण भगवान की मूर्ति को बहुत प्रेम से स्वीकार किया और अपने राज्य में कि सीहड नामक एक गांव में एक बहुत बड़ा आयोजन करके भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति की स्थापना की तभी से कहा जाता है कि इस गांव का नाम नाथद्वारा पड़ गया और यहां के चित्रकार अपनी एक निजी विशेषता के साथ चित्रकला शैली का प्रयोग करते थे उसे नाथद्वारा शैली कहा गया नाथद्वारा जो है तो मेवाड़ शैली का एक प्रसिद्ध केंद्र रहा है जहां के चित्रों की एक प्रमुख विशेषता यह थी कि जो भगवान श्री कृष्ण के पीछे बहुत ही सुंदर ढंग से चित्रित करके लगाया जाता था इसे पिछवाई कहा जाता था जोकि इसकी अपनी एक खूबसूरत विशेषता थी मेवाड़ में आज भी जिस दिन भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति स्थापित की गई थी उस दिन को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है और कृष्ण जन्माष्टमी पर वहां पर बहुत बड़ा आयोजन होता है
8 months ago
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