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भक्ति या दिखावा

Pinky Kumar 30 Mar 2023 आलेख धार्मिक 10301 0 Hindi :: हिंदी

भक्ति और दिखावा =) आज में भक्ति के नाम पर फैल रहे दिखावे आडम्बर पाखंडो पर बात करने वाली हूँ। जिस प्रकार भक्ति का दिखावा करके लोग पैसे कमा रहें और अपना जिवन किस प्रकार विलासिता पूर्ण जिरहें है आज उस विलासिता पूर्ण जिवन पर बात करने जा रहीं हूँ। आज के इस युग में भगवान का सचा भक्त वहीं है। जो दिखावे के नाम पर लोगो को यह दिखा सके कि में भगवान का कितना बड़ा भक्त हुँ यह कलयुगी भक्त को प्रमाणीत करना होता है। या में कहूँ कि कलयुगी भक्त अपनी तरफ से एक प्रमाण पत्र निकाल कर भोली भाली जनता को दिखाती है। देखो हम कितने  बड़े भक्त है। भगवान के ताकि लोग भगवान को छोड़कर लोग इन्हें पूजने लगे और इतना ही नहीं इनकी भक्ति यही खत्म नहीं होता इनकी भक्ति कि चरम सिमा लोगों से भगवान के नाम पर दान दक्षिणा के नाम पर लोगों से पैसे निकलवाना ताकी उन्ही पैसो से अपना विलासितापूर्ण जिवन जी सके उन्हीं पैसो से अच्छा पहना अच्छा खाना अच्छा घूमना यह है इनकी भक्ति और हमारी भारत कि भोली भाली जनता इनके इन्ही भोले पन के कारण भारत में अंग्रेजो ने शासन किया और अब अपने ही देश के लोग लूटने लगे  क्या देश की राजनीति कम थी कि देश वासियो को लूटने  में अब यह खड़े हो गये भगवान के प्रति भक्ति सही है। पर अन्ध भक्ति से तो स्वत्यम भगवान भी नहीं बचा सकते यह जो भगवान के नाम पर जिस प्रकार यह दिखावा करते आडम्बर करते है। पाखण्ड करते खुद भगवान बन्ने का नाटक करते है। और लोगों से पैसे निकलवाने का भगवान के नाम पर इनकी एक और विश्षेसता होती इनके लगे में फुलो कि माला और हाथो में एक भगवान के नाम का ग्रन्थ जरूर मिलेगा चाहें उसमें लिखे शब्दो का भले ही ज्ञान ना हो पर उसी पर अपनी तरफ से शब्दो को जोड़कर झूठा ज्ञान देगे कि भगवान श्री कृष्ण गीता में यह कहाँ वो कहाँ अपनी तरफ से कुछ भी जोड़कर बोलते रहते है। गीता का ज्ञान बहुत कम लोग होगे जिन्हें पहली बार में समझमें आता है। और एक बार गीता बढ़ लेने से कोई अर्जुन नहीं बन जाता और ना ही कोई कृष्ण बन जाता है। अगर एक बार ध्यान से गीता के शब्दो को समझकर पढ़ा होता तो लोगों के जेबो से पैसे निकलवाने कि जरूरत नहीं पड़ती यह आडम्बर नहीं करना पड़ता पर गीता किसको समझनी है। इन्हें तो श्री कृष्ण कि जगह लेकर स्वयम भगवान बनना होता है। अगर यह स्वयम भगवान नहीं बनेगे तो इनका भगवान के नाम पर व्यापार कैसे चलेगा जब इन्हे बॉलीवुड में सफलता नहीं मिली तो कृष्ण को पकड़ लिया ताकी लोग इन्हें ज्यादा से ज्यादा जाने इन्हें पब्लिसिटी मिले ताकी इनका खजाना भरता रहें यह एक ज्ञान और देते ना राम में ना शिव में जो पैसा जो विलासितापूर्ण जीवन श्री कृष्ण दे सकते वो और कोई नहीं दे सकता पर असल इन आडम्बर कारीयो ने  तो राम को भी नहीं छोड़ा और ना ही हनुमान जी को  छोड़ा खुद को भगवान बनाना और खुद को भगवान मानना यह दोनो ही सबसे बड़ा पाप है। अरे भक्ति कोई वस्तु थोड़ी है। जिसे खरीदा और मिल गयी लोगों भगवान को पाने में ना जाने अपने कितने जन्म लग जाते  है। तो यह तो भक्ति है। तपस्या करने वाले ऋषि मुनि ना जाने कितने वर्षों और कितने जन्मो तक  तपस्या करते तब जाके उन्हें भगवान कि भक्ति मिलती है। पर आज कलयुग में भक्ति एक भोग विलास साधन बन कर रह गयी है। इतना ही नहीं यह पुराने भजनों मे डिस्को ट्यून जोड़कर अपने मनोरंजन का साधन बना रहें है। अरे भक्ति करनी है तो ऐसे करो कि अगर बाये हाथ से कुछ दे रहे तो दाये हाथ को पता भी ना चले ऐसी होती है भक्ति  जब करते है तो मन में यह भाव ना आये कि में ही भगवान का सबसे बड़ा भक्त हूँ सारी दुनिया मुझे और मेरे द्वरा किये जाने वाली भक्ति को देख रही है। या में सर्वश्रेष्ठ भक्त हूँ और में ही सर्वश्रेष्ठ भक्ति करता हूँ कुल मिलाके भगवान के लिये किया जाने वाल प्रत्यक कार्यों में मन में किसी भी प्रकार का में का भाव ना आये सच्चाई ,ईमानदारी और भगवान आगे अपने आप को पूर्ण समर्पण करने वाले भावो को ही भक्ति कहते है यह तो भगवान कि भक्ति को एक छोटा सा रूप है। यह तो एक छोटी शुरुवात है। जब आपके मन में किसी भी प्रकार के जीव जन्तुओं लेकर और प्रत्यक प्राणी मातर को लेकर किसी भी प्रकार कि हिन्न भावना उच निच भेद-भाव और किसी भी प्रकार का अंहकार ना हो सब पर दया का भाव रखे वह है भक्ति यह भक्ति  पर चलने वाले छोटे - छोटे मार्ग है। जिसे हम और आप बड़ी अच्छी तरह चल सकते है। पर इन्हीं मार्ग पर वहीं चल सकता है। जिस पर भगवान कि कृपा हो दान देने वाली कोई भी वस्तु छोटी नहीं होती और दान उसी का करो जिसकी जरूरत हो जीवन का समझना परखना और इससे भी ज्यादा जरूरी खुद को समझना परखना अपने आपको अन्दर से जाँचना और समझना कि मेरे लिये और मेरे जीवन के क्या उद्देश्य है। मेरे लिये और मेरे जीवन के लिये कौनसा मार्ग सही और कौन गलत जब आप अपने आपका पूर्ण रूप से अध्यन और घहन चिंतन मनन करते तो आपको लोगों को और इस जीवन को समझना और भी आसान हो जाता है। और यह सब भाव तभी आते है जब आप अध्यात्म के रास्ते को चुनते है। पर कलयुगी भक्ततो कि भक्ति बहुत ज्यादा हट कर होती है। उनके पास अच्छी गाड़ी अच्छे घर अच्छे कपड़े अच्छा घूमना और जनता से भक्ति के नाम पर निकलवाये पैसे होते है। और हाँ इनके पास विदेशों का ट्यूर जरूर मिलेगा जहाँ हम और आप जाने के सपने ले सकते पर जा नहीं सकते अरे महनत करके पैसे तो सब कमाते पर इनकी तरह लोगों की भावनाओं के साथ खेलकर पैसे कमाओं आपको इनकी थालियों में 56 भोग मिलेंगे पर आपकी और हमारी थाली में पूरा साल जोड़लो जब भी 56 नहीं मिलेंगे आज भा भारत देश में ऐसे लोग है। जिन्हें ठिक से दो वक्त का खाना नसीब नहीं होता पर इनके पास पूरे 56 भोग मिलेंगे हे भगवान ऐसी भक्ति देश के हर गरीब को मिल जाये तो देश का कोई गरीब भूखा ना सोपायेगा में भगवान से यही दुआ करती हुँ कि ऐसी भक्ति उन गरीबो को मिले जिनके पास दो वक्त का खाना नसिब नहीं होता हर चिज का अन्त उसकी शुरूवात में ही छिपा होता है। जहाँ से उसकी शुरूवात होती है। वही उसका अन्त होता है। बस कुछ लोग समझजाते है। तो कुछ लोग मोह माया के अधिन होकर रह जाते है। पर अन्त में उन्हें अफसोस और पछतावे के अलावा कुछ होसील नहीं होता जिस प्रकार भगवान पर लोग व्यापार कर रहें है। एक दिन इसका भी अन्त होगा पर इससे पहले भगवान इन्हें बुद्धि - सद्ध बुद्धि दे

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