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दीवाली और बढ़ती महंगाई

Pinky Kumar 30 Mar 2023 आलेख अन्य 8355 0 Hindi :: हिंदी

आप सभी को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं दीवाली क्यों और कब कैसे मनाई जाति हम और आप अच्छी तरह से जानते है। दीवाली एक ऐसा त्यौहार है। जिसे हर धर्म जाति और हर देश में मनाया जाता है। पर आज में देश में जो असल समस्या है। वो है देश मे बढ़ी मंहगाई जी हाँ आज में मंहगाई पर बात करने वाली हूँ और मंहगाई का सबसे ज्यादा असर किस वर्ग पर पड़ा है। वो भी में बताने वाली हूँ। हमारे देश में गरीब और अमीर कि खाई इतनी बड़ी है। कि ऐसा लगता है। की दोनों में होड़ लगी हो की कौन आगे और कौन पिछे दोनों का ग्राफ बराबर चल रहा है। पर गरीब और अमीरी की खाई के बीच में एक और वर्ग है। जिसे हम मध्यम वर्ग कहते है। गरीब अपने दो वक्त कि रोटि के लिये भागता हैं। और अमीर खर्च करने के लिये भागता है। पर मध्यम वर्गीय परिवारों को बचत भी करनी होती है।। खर्च भी करना होता  है। और जरूरते भी पूरी करनी होती है। में मानती हूँ। मंहगाई का असर हर वर्ग के लोगों पर पड़ा है। पर सबसे ज्यादा असर मध्यम वर्गीय परिवारों पर पड़ा है। गरीबी सबको दिखती है। और अमीरी भी सबको दिखती है। अमीर और गरीब का ग्राफ हम नाप सकते है। पर इन दोनों के बीच में फसा मध्यम वर्गीय परिवार उसको कौन नापेगा उसका कोई नाप नहीं है। उसकी सारी जिंदगी एक मशीन कि भाति चलती रहती है। और यह देश की राजनीति जो हिन्दू मुस्लिम करने में बाज नहीं आती लोगों को समझना चाहिये कि हिन्दू मुस्लिम देश कि असल समस्या नहीं है। देश के सामने जो समस्या है वो है। बढती मंहगाई,  बेरोजगारी, अशिक्षा, भूख मरी, और गरीबी, स्वास्थय समस्या, आदि ऐसी अनेक समस्याएं जिन्हें हम और आाप और इस देश के राजनेता  अन्देखा कर रहें या में कहूँ की सब जानते हुवे भी आखों पर काली पट्टी बांध रखी है। आखीर क्यों हिन्दू मुस्लिम कि लड़ाई तो हमने भारत और पाकिस्तान के रूप में देखने को मिली है। 1947 कि लड़ाई में राजनेताओं का काम है। राजनिती करना उनका काम है। हिन्दू मुस्लिम करना क्योंकि उन्हें अपनी कुर्सी बचानी है। अगर पैगम्बर और राम रहीम करने से देश चलता तो देश में लोकतंत्र की स्थापना नहीं होती में मानती हूँ किसी राजनेता का भक्त होना सही है। पर अन्ध भक्त होना अपने आपके साथ- साथ इस देश के लिये भी खतरनाक साबित होता है। किसी एक की गलती सारो को भुगतनी पड़ती है। लोगों कि धर्म को लेकर सोच बदल रही है। पर आज भी देश में ऐसे लोग है। जो पुरानी सोच से देश को चला रहे है। हिन्दू मुस्लिम को लड़वा रहे हैं। समय रहते हुवे अगर सम्भल जाये उसे समझदर कहते है। अगर ना समझे तो दुसरे ही राज करते है। जैसे अंग्रेजो ने राज किया था धर्म के नाम पर विभाजन करवा दिया बस अब अन्तर इतना ही है। की खुद के देश के लोग ही खड़े हो गये है। आज कल सब दिखावे पर चलता है। लोग त्यौहारो को दिखावे तक सिमित कर दिया गया है। और हम और आप दिखावे को ज्यादा पंसद करने लगे है। श्री राम का जीवन दिखावे से कोसो दूर था या में कहूँ की श्री राम का जीवन हमें दिखावे से दूर रहना सिखाता है। उनके जीवन का एक मात्र लक्ष्य धरती पर अधर्म का नाश करके धर्म कि स्थापना करना था पर इससे पहले उन्होंने अपना जीवन एक मनुष्य कि भाति जीया एक मनुष्य का जीवन कैसा होना चाहिये वोभी हमें श्रीराम जी से सीखना चाहिये श्रीराम का जीवन एक साधा सरल और अपने आपको जानना अपने जीवन के लक्ष्य को जानकर उस पर अग्रसर होना और सबसे पहले हमारा जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग आध्यात्मिक होना क्योंकि जब एक मनुष्य आध्यात्मिक होगा तभी वो अपने आपको जान पायेंगा पर आज कि युवा पीढ़ी आध्यात्मक से कौसो दूर है। शायद इसी वजह से वो संचाई से कौसो दूर है। तभी श्रीराम जैसे चरित्र पावन पुरुष को एक कहानी तक सीमित कर दिया गया है। पर श्रीराम का जीवन हमें क्या सिखाता है। हमारा जीवन के प्रति हमारे प्रति क्या कत्वय होना चाहिये सबसे पहले हमें और हमारे जीवन के प्रति ईमानदार होना बहुत जरूरी हम जीतना अपने आपको जान सकते उतना जानने कि कोशिश करनी चाहिये जिस दिन अपने आपको लेकर ईमानदारी कि भावना आयेगी उस दिन आपके और हमारे जीवन में अंहकार, ईष्या, राग द्वेष, दिखावा , और लोगों में कमी दिखना बन्द हो जायेगी इस लिये सबसे पहले हमें अपने आपको जानना बहुत जरूरी है। पर त्याहार हमें लोगों से जोड़ना सिखाता है। लोगों कि भावनाओं का सम्मान करना सिखाता है। पर आज के समय में अगर किसी गरीब की मद भी कि जाती है तो उसे पहले पुछा जाता है। या दिखाया जाता है। कि वो कितना गरीब है। और हम उस गरीब कि कैसे मदत कर रहें है। यह भी दिखाया जाता है। में कहू की आज गरीब के नाम पर भी पैसे कमाये जाते है। इंसान खुद ही नियम बनाता है। और खदु ही उन नियमों पर नहीं चला पाता  तो खुद ही नियम तोड़ देता है। ना जाने भगवान के नाम पर क्या - क्या दिखावे किये जाते है। क्या- क्या आडम्बर किये जाते है। और क्या - क्या पाखण्ड किये जाते है। भगवान के नाम को एक व्यापार बनाकर रख दिया गया है। भगवान कि भक्ति को पाने के लिये ना जाने कितने जन्म लग जाते है। पर आज के समय में लोगों ने भक्ति का मजाक बनाकर रख दिया गया है। भक्ति को व्यापार बना कर रख दिया गया है। लोग खुद ही भगवान बन कर बेट गये है। आज कल के युग में त्याहारो का अर्थ अच्छा पहना, अच्छा खाना, अच्छा घूमना, और अच्छे से दिखावा करना यही तक सीमित होकर रह गया है। में कहुँ तो त्यौंहार भी एक व्यापार बनकर रह गया है। जीव जन्तुओं पर दया करो पेड़ पोधों पर दया करो इस धरती पर सबको जिने का हक है। हम मानव इस धरती के सबसे बड़े दुश्मन बनकर रह गये है। हमें जहाँ - जहाँ सफलता मिली हमने अपनी सफलता का गलत फायेदा उठाया है। हम सब कुछ जानते हुये भी अनजान बनने का दिखावा करते है। पर हमारा अनजान बन्ना भी हमें एक दिन इसकी भारी किमत चुकानी पड़ सकती है। इसे हम और आप भली भाती जानते है।

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