Pinky Kumar 14 Apr 2023 आलेख समाजिक 7866 0 Hindi :: हिंदी
14 अप्रैल1891 -6 दिसंबर1956 🙏🙏🌺🌺 डॉ . भीमराव रामजी आम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्य प्रदेश के महू में हुआ था यह भारतीय विविवेता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे आम्बेडकर स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि और न्याय मंत्री और भारतीय संविधान का जनक भी कहाँ जाता है। उन्होंने बौद्ध दलित आंदोलन को प्रेरित किया और समाज के भेदभाव के विरद्ध अभियान चलाया बाबा सहाब को मरणोपंरात साल 1990 में भारत के सर्वोच्च नागरिक भारत रत्न से समानित किया गया में उन लोगों से कहना चाहती हुँ जो लोग समाजिक भेद भाव के शिकार है। अपनी लड़ाई खुद को लड़नी पड़ती है। इस भेद भाव भरे समाज में रहने के लिए इनमें अपनी जगह बनाने के लिए लड़ाई लड़नी पड़ती है। जैसे बाबा सहाब ने लड़ी थी इस समाज में अपनी जगह बनाने के लिए आज उन्होंने इस लड़ाई को जित कर इतिहास में अपनी जगह बनाई उनके नाम पर नारे लगाने से उनका भक्त हो जाने से लड़ाई खत्म नहीं होगी ना जाने अभी कितने बाबा सहाब होगें जो अपनी लड़ाई लड़ रहे है। बाबा सहाब को इतना ही मानते हो जो उनके जैसा बन्ने कि कोशिश करो उनकी जैसे मेहनत करो सिर्फ उनके नाम पर चिलाने से उनके नाम पर आंदोलन करने से उनकी फोटो लगाने से भेद भाव कि लड़ाई बन्द नहीं हो जाती है। आज भी सच्चाई यह है। कि दलितो को लोग अपने पास खड़ा होना भी पाप समझते है। आज भी उनके साथ भेद भाव छुवा छुत और निचा समझा जाता है। हम यह देख कर समझ सकते है। कि हमें एक बाबा सहाब नहीं ना जाने और कितने बाबा सहाब कि जरूरत है। एक को पकार खुश मत होओ इन्होंने तो अपनी जिम्मेदारी पूरी करदी इनका पुरा जीवन समाज में फेल रहे भेद भाव और इस समाज में अपनी छवी बनाने में लगादी पर हम क्या कर रहें है। कभी पूछा है। अपने आपसे इन्होंने तो एक शुरआत कि थी और हम इनकी लड़ाई को ना लड़ कर अपनी जिम्मेदारियो से भाग रहें है। अपनी जिम्मेदारीयो को समझों सच क्या है। जानों और फैल रहे भेद भाव के खिलाफ लड़ो मै यह नहीं कह रही कि इनका सम्मान ना करो बल्की इनका असली सम्मान तो तब भी होगा जब इनकी शुरु कि गई समाजिक भेद भाव कि लड़ाई हम खत्म करेगें इन्होंने शुरुआत कि थी पर खत्म हमें करना होगा और यही सच्चाई है। तभी इनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी इनके जैसा बन्ने कि कोशिश करों समाज में अपनी छवी बनाओं फिर देखो कौन देखता है। आपकों भेद भाव कि नजर से लोग तुम्हारी जाति से नहीं सम्मान नहीं करेगें बल्की तुम्हारे पद से तुम्हारे काम को सम्मान करेंगे। जो गलत है। उसका विरोध करना सिखो तभी हम लड़ पायेंगे बाबा सहाब ने भेद भाव के खिलाफ लड़ाई शुरू की और खत्म हम करेंगे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दो उन्हें बाबा सहाब जैसा बनाने कि कोशिश करों फिर तुम्हें कोई नहीं रोकेगा आगे बढ़ने से शुरुआत तो करो यही जनता जो भेद भाव करती है। यही लोग तुम्हे आगे बढ़ाएंगे यही लोग तुम्हारा सम्मान करेंगे जैसा आज पुरा भारत बाबा सहाब को याद करता है। वही भारत तुम्हें भी याद करेंगा तुम्हारा सम्मान करेगा पर बाबा सहाब जैसा सहनशील , मेहनती, बनों उन्होंने भी भेद भाव को झेला है। पर कभी सड़क पर खड़े होकर चिलाया नहीं बल्की उन्होंने अपनी मेहनत के बल पर खड़े होकर यह सम्मान पाया है। अपने हक के लिए लड़े है। तभी हम आज उन्हें याद करते है। तो कुछ ऐसा करो देश के लिए कि लोगों के दिमाक से ही निकल जाए भेद भाव क्या है और हमें मेहनत करनी होगी हमें इस लड़ाई को लड़ना होगा उनको भारत रत्न ऐसे ही नहीं मिला उसके लिए ना जाने उन्होंने अपनी जीवन कितने बुरे समय को जिया उसे लड़े उसका सामना किया जब जागे यह समान उन्हेंने मिला कोट - कोटी नमन बाबा सहाब🙏🙏 धन्यवाद 14 अप्रैल1891 -6 दिसंबर1956 🙏🙏🌺🌺 डॉ . भीमराव रामजी आम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्य प्रदेश के महू में हुआ था यह भारतीय विविवेता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे आम्बेडकर स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि और न्याय मंत्री और भारतीय संविधान का जनक भी कहाँ जाता है। उन्होंने बौद्ध दलित आंदोलन को प्रेरित किया और समाज के भेदभाव के विरद्ध अभियान चलाया बाबा सहाब को मरणोपंरात साल 1990 में भारत के सर्वोच्च नागरिक भारत रत्न से समानित किया गया में उन लोगों से कहना चाहती हुँ जो लोग समाजिक भेद भाव के शिकार है। अपनी लड़ाई खुद को लड़नी पड़ती है। इस भेद भाव भरे समाज में रहने के लिए इनमें अपनी जगह बनाने के लिए लड़ाई लड़नी पड़ती है। जैसे बाबा सहाब ने लड़ी थी इस समाज में अपनी जगह बनाने के लिए आज उन्होंने इस लड़ाई को जित कर इतिहास में अपनी जगह बनाई उनके नाम पर नारे लगाने से उनका भक्त हो जाने से लड़ाई खत्म नहीं होगी ना जाने अभी कितने बाबा सहाब होगें जो अपनी लड़ाई लड़ रहे है। बाबा सहाब को इतना ही मानते हो जो उनके जैसा बन्ने कि कोशिश करो उनकी जैसे मेहनत करो सिर्फ उनके नाम पर चिलाने से उनके नाम पर आंदोलन करने से उनकी फोटो लगाने से भेद भाव कि लड़ाई बन्द नहीं हो जाती है। आज भी सच्चाई यह है। कि दलितो को लोग अपने पास खड़ा होना भी पाप समझते है। आज भी उनके साथ भेद भाव छुवा छुत और निचा समझा जाता है। हम यह देख कर समझ सकते है। कि हमें एक बाबा सहाब नहीं ना जाने और कितने बाबा सहाब कि जरूरत है। एक को पकार खुश मत होओ इन्होंने तो अपनी जिम्मेदारी पूरी करदी इनका पुरा जीवन समाज में फेल रहे भेद भाव और इस समाज में अपनी छवी बनाने में लगादी पर हम क्या कर रहें है। कभी पूछा है। अपने आपसे इन्होंने तो एक शुरआत कि थी और हम इनकी लड़ाई को ना लड़ कर अपनी जिम्मेदारियो से भाग रहें है। अपनी जिम्मेदारीयो को समझों सच क्या है। जानों और फैल रहे भेद भाव के खिलाफ लड़ो मै यह नहीं कह रही कि इनका सम्मान ना करो बल्की इनका असली सम्मान तो तब भी होगा जब इनकी शुरु कि गई समाजिक भेद भाव कि लड़ाई हम खत्म करेगें इन्होंने शुरुआत कि थी पर खत्म हमें करना होगा और यही सच्चाई है। तभी इनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी इनके जैसा बन्ने कि कोशिश करों समाज में अपनी छवी बनाओं फिर देखो कौन देखता है। आपकों भेद भाव कि नजर से लोग तुम्हारी जाति से नहीं सम्मान नहीं करेगें बल्की तुम्हारे पद से तुम्हारे काम को सम्मान करेंगे। जो गलत है। उसका विरोध करना सिखो तभी हम लड़ पायेंगे बाबा सहाब ने भेद भाव के खिलाफ लड़ाई शुरू की और खत्म हम करेंगे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दो उन्हें बाबा सहाब जैसा बनाने कि कोशिश करों फिर तुम्हें कोई नहीं रोकेगा आगे बढ़ने से शुरुआत तो करो यही जनता जो भेद भाव करती है। यही लोग तुम्हे आगे बढ़ाएंगे यही लोग तुम्हारा सम्मान करेंगे जैसा आज पुरा भारत बाबा सहाब को याद करता है। वही भारत तुम्हें भी याद करेंगा तुम्हारा सम्मान करेगा पर बाबा सहाब जैसा सहनशील , मेहनती, बनों उन्होंने भी भेद भाव को झेला है। पर कभी सड़क पर खड़े होकर चिलाया नहीं बल्की उन्होंने अपनी मेहनत के बल पर खड़े होकर यह सम्मान पाया है। अपने हक के लिए लड़े है। तभी हम आज उन्हें याद करते है। तो कुछ ऐसा करो देश के लिए कि लोगों के दिमाक से ही निकल जाए भेद भाव क्या है और हमें मेहनत करनी होगी हमें इस लड़ाई को लड़ना होगा उनको भारत रत्न ऐसे ही नहीं मिला उसके लिए ना जाने उन्होंने अपनी जीवन कितने बुरे समय को जिया उसे लड़े उसका सामना किया जब जागे यह समान उन्हेंने मिला कोट - कोटी नमन बाबा सहाब🙏🙏 धन्यवाद
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