arti singh 30 Mar 2023 आलेख समाजिक बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ..।। 17090 4 5 Hindi :: हिंदी
हम बेटियां है साहब... हमे बचपन में ही बड़ा कर दिया जाता है.. घर की जिम्मेदारियो का पूरा भार हमारे नाजुक कंधे पर रख दिया जाता है..चाहे वो घर की इज्जत , घर का काम हो या बड़ो ,बुढो का सम्मान हो...! हमें बचपन से ही सिखाया जाता है कि किसी भी बात को सहने की शक्ति रखो, शहनशील बनो , चाहे वो बात गलत ही क्यों न हो उसका विरोध मत करो...उसे उसी रूप में स्वीकार करने की आदत डालो; क्यों?... क्योकि हम बेटियां है साहब हमे दूसरे के घर जाना है ..और अच्छे ,बुरे सब कार्मो को सहन करते हुए अपने घर की इज्जत बचाना है..!! हमे ये क्यों नही सिखाया जाता कि तुम्हे दूसरे के घर जाना है इसलिए पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो जाओ ,इतना कमाओ की...जिस तरह कुछ लोग जॉब के दम पर हम बेटियों को रीजेक्ट करते है , तुम भी ऐसे सस्ते लोगो को खरीदने की छमता रखो.. अपना अच्छा बुरा समझ सको, तुम्हारे साथ जो अन्याय हो उसके ख़िलाप लड़ सको .. भावी बेटियो का भी जीवन सवाँर सको, समाज मे तुम्हे भी सम्मान मिले जितना एक बेटे को मिलता है..! आखिर कब तक बेटियों को अपने माता -पिता और घर के अन्य सदस्यों द्वारा शोषण के ख़िलाप लड़ने से चुप कराया जाएगा,कब तक एक बेटी के अरमानों को दफनाया जाएगा..कब तक बेटी की पढ़ाई के हिस्से का पैसा दहेज में उड़ाया जाएगा ,आख़िर कब तक..! हमारे माता- पिता ,परिवार ,ये समाज,क्यों नही समझता कि हम बेटियां भी किसी के बेटो से कम नही; हम भी उड़ान भर सकती हैं हम भी वो बेटो वाले काम कर सकती है,आप तो एक ही घर के चिराग हो, हम दो- दो कुल को रोशन कर सकती हैं...।। हाँ हम भी कुछ कर सकती है हम भी बहुत कुछ बन सकती है...धन्यवाद! Writen by arti singh
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