हाथरस कांड में नया मोड़::
हाथरस कांड में पीड़िता से कथित दुष्कर्म, हत्या, अर्द्धरात्रि शवदहन, प्रशासनिक लापरवाही, राजनीतिक पर्यटन के बाद अब एक नया मोड़ आ गया है, जिसमें यूपी पुलिस ने छह मुकदमे दर्ज किए हैं। इसमें सपा, रालोद, भीम आर्मी के नेताओं सहित अन्य सैकड़ों अज्ञात उपद्रवियों को आरोपित बनाया गया है।
ये मुकदमे राष्ट्रद्रोह, आपराधिक षड़यंत्र, जातीय उन्माद भड़काने, पुलिस पर हमला, यातायात बाधित करने, कोविड-19 की गाइडलाइन व धारा 144 के उल्लंधन समेत अन्य धाराओं में दर्ज किए गए हैं। इसी के साथ सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने व पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपए का प्रलोभन देकर गलतबयानी का दबाव बनाने पर भी मुकदमें दर्ज किए गए हैं। एक मुकदमा भाजपा के पूर्व विधायक राजवीर सिंह के खिलाफ भी है।
वहीं, हाथरस हिंसा में विदेशी फंडिंग की जांच ईडी द्वारा की जा रही है। सोशल मीडिया को भी खंगाला जा रहा है कि इस दौरान किस-किसने भड़काऊ टिप्पणियां कीं, जो हिंसा भड़काने में अहम रोल निभाई।
यूपी पुलिस को इस सिलसिले में वेबसाइट ‘जस्टिस फार हाथरस विक्टिम डाट काम’ हाथ लगी है, जो लोगों को निर्देशित कर रही थी कि हिंसा कैसे और किस तरह से भड़काई जानी है? इस वेबसाइट में रातोंरात दिल्ली, कोलकाता और अहमदाबाद से नकली आईडी का उपयोग कर हजारों लोगों को जोड़ा गया था।
इस संबंध में पीपुल्स फ्रंट आफ इंडिया की भूमिका की भी जांच की जा रही है। विदित हो कि यह वही पीपुल्स फ्रंट आफ इंडिया है, जो दिल्ली व बंैगलुरु में हिंसा फैलाने का आरोपी है।
वहीं शीर्ष कोर्ट ने हाथरस के बूलगढ़ी गांव में अनुसूचित जाति की बालिका के साथ हुई घटना को भयावह, झकझोरनेवाली और असाधारण बताया है। कोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार से आठ अक्टूबर तक तीन बिंदुओं में हलफनामा मांगा है।
कोर्ट ने जानना चाहा है कि पीड़िता के परिवार की किस तरह सुरक्षा हो रही है। क्या पीड़ित परिवार ने पैरवी के लिए कोई वकील किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की कार्रवाई का दायरा क्या है, इसे कैसे बढ़ाया जा सकता है?
उधर उप्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए शीर्षकोर्ट की निगरानी में किसी केंद्रीय जांच एजेंसी से समयबद्ध जांच कराने का आग्रह किया है। प्रदेश सरकार ने मुख्य घटना के बाद हिंसक प्रदर्शनों, दंगों की साजिश रचने और दुष्प्रचार कर सरकार को बदनाम करने की जांच भी केंद्रीय एजेंसी से कराने की मांग की है।
प्रारंभिक जांच में प्रर्वतन निदेशालय को पापुलर फ्रंट आफ इंडिया के सहयोगी संगठन कैंपस फ्रंट आफ इंडिया की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। माहौल को बिगाड़ने के लिए विदेश से 100 करोड़ की फंडिंग की जानकारी मिली है, इसमें 50 करोड़ की फंडिंग मारीशस से की गई है।
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