DINESH KUMAR SARSHIHA 30 Mar 2023 आलेख समाजिक #money,#importance_of_money_in_reality 9414 0 Hindi :: हिंदी
*पैसा रोटी तो दिला सकता है, पर भूख नहीं।* दुनिया के सर्वाधिक धनाढ्य व्यक्तियों में शुमार जॉन डी. रॉकफेलर का जन्म सन् 1839 में अमेरिका में हुआ। वे बहुत पढ़े-लिखे तो नहीं थे, पर उनके मन में ऊंचा उठने और तरक्की करने की तीव्र ललक थी अपनी युवावस्था में ही उन्होंने तेल व्यवसाय के क्षेत्र में अपना कदम रखा और दिन-रात कड़ी मेहनत करते हुए एक दिन विश्व की सबसे बड़ी तेल कंपनी स्टैंडर्ड ऑयल कंपनी के मालिक बने। पर जीवन में एकतरफा सोच, धन के पीछे की दौड़ और बेतरतीब जीवनशैली ने उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाला। बीमारी के दिनों में बिस्तर पर पड़े-पड़े उन्हें महसूस हुआ कि पैसा ही सब कुछ नहीं है। पैसा रोटी तो दिला सकता है, पर भूख नहीं। पैसा साधन तो हो सकता है, पर साध्य नहीं। उन्होंने निश्चय किया कि अब जब वे स्वस्थ होंगे तो अपनी संपत्ति का उपयोग श्रेष्ठ और शुभ कार्यों के लिए करेंगे। इसी प्रण के साथ उन्होंने चिकित्सा और शिक्षा के विकास के लिए 55 करोड़ डॉलर (वर्तमान भारतीय मुद्रा में करीब 2.75 खरब रुपये) दान दिए, जिससे रॉकफेलर फाउंडेशन की स्थापना की गई। यह संस्था उनकी मृत्यु के वर्षों बाद भी अच्छे उद्देश्यों के लिए समर्पित है।
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