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पीरियडस महिलाओं का जिवन

Pinky Kumar 07 Apr 2023 आलेख समाजिक 6268 0 Hindi :: हिंदी

पीरियडस हर महिलाओं के जिवन का हिस्सा है। आज में पीरियड्स पर सामाजिक सोच के बारे में लिखने जा रही हूँ पीरियडस को लेकर पहले भी और भी पुरानी परम्पराओं को मानते आरे है। जैसे किसी महिला के पीरियडस आते है तो उसका खाना पिना रह सहन और बरतन अलग कर दिये जाते है और पहले के समय में अगर कोई महिला पीरियडस आते थे तो उसे घर से कही दूर किसी जंगल में बनी छोटी झोपड़ीयो रहने के लिए भेज दिया जाता था जहाँ पर वह कुछ दिन रहकर अपना गुजारा किया करती थी जहाँ पर टिक से रहने व खाने कि व्यवस्था भी नहीं होती थी वह महिला खुद ही अपना गुजारा भुखी प्यासी किया करती थी साथ ऐसी महिलाओं के साथ बलात्कार जैसे अपराध हो जाया करते थे। और अगर उसके साथ कुछ गलत भी होता तो सारा दोष उस महिला पर लगा दिया जाता था आज भी ऐसी सोच विदय मान है पर कम हैं जरूर आज भी लड़कीया अगर पीरियडस से होती है। तो उसे तीन दिन तक किचन में नहीं जाने दिया जाता है। हर छोटी - छोटी बात के लिये उसे टोक दिया जाता है। तुम अभी किसी भी वस्तुऔ के हाथ नहीं लगा सकती किसी को बताने से मना कर दिया जाता है। खास कर घर में पापा या भाई हम इसे जुड़ी किसी भी समस्या से बात नहीं कर सकते और विधालय जिसे ज्ञान का मंदिर कहाँ जाता है। वहाँ पर भी इन बातो को लेकर कोई बाते नहीं कि जाती इसी कारण जब कोई लड़की पहली बार पीरियड्स से होती है तो वह घबरा जाती है। डर जाती है। कि क्या होगया मुझे 
जागरूकता =) हमें ऐसी चली आरही कुप्रथाओं का विरोध करना चाहिये अगर एक महिला किसी दूसरी महिला कि समस्याओं को नहीं समझेंगी तो कौन समझेगा अगर हमारे आस पास ऐसी कोई भी कुप्रथा चल रही है तो हमें इस पर लोगों को समझाना होगा कि यह कोई बुरी बात नहीं है। प्रकृति के द्वारा हर महिलाओं को होती है। अगर ऐसा ना हो तो महिलायें माँ के सुख से वनचित होगी बलकी इन समय में हमें महिलाओं समझना चाहियें हमें एक दूसरे कि मदत करनी चाहियें इन समय में महिलाओं के पीरियडस आने से चार या एक हफते पहले ही शरीर में दर्द ,रहना गुस्सा करना , रोना परेशान रहना, या कभी कुछ अलग - अलग खाने का मन करता है। तो हमें इस समय इनका जरूरतो का ध्यान देना चाहियें इन्हें समझना चाहियें अगर  किसी महिला के एक महिने पीरियडस ना आये या आही नहीं रहें है। तो हमें एक महिला डॉक्टर से राये लेनी चाहियें और पीरियडस आना कोई बुरी बात नहीं यह कोई छुवा - छुत जैसे कोई बीमारी नहीं है। यह तो महिलाओं के जिवन का एक हिस्सा होता है। जिस पर खुल हमें बात करनी चाहियें भी किसी डर के बिना किसी समस्या के पीरियडस महीने में एक बार और तीन से चार दिन कि प्रोसेस होती है। और आज के इस समय में पीरियडस से कोई अनजान नहीं है। अगर किसी महिला के सार्वजनिक स्थान पर पीरियड्स आजाते है तो हमें उससे दूर भागने कि जगह पर हमें उसकी मदत करनी चाहियें क्योंकि उस समय उसको किसी जरूरत मंद कि जरूरत होती है। औद जिन लोगों को पीरियडस क्या है। नहीं पता है तो काफी बुक छापी जा चुकी है। पत्रिका छपी जा चुकी है। पीरियड्स पर हमें उसको पढ़ना चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए यह कोई श्राप नहीं हैं। इस बात को समझना होगा और लोगों को जागरूक करना होगा घर और परिवार में हमें अपनी माँ दादी और या और भी लोग है तो हमें इसके बारे मे बताना होगा और बन्द करों किसी भी प्रकार का छुवा छुत हमारी सोच को बदलने कि जरूरत है।

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