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प्रेम में नारी कि दुर्दशा

Pinky Kumar 07 Apr 2023 आलेख समाजिक 6757 0 Hindi :: हिंदी

एक नारी कि दूरदर्शा=) हर घर कि कहानी है। अगर एक महिला हो या कोई लड़की गर घर का  काम करती है । तो उस काम में अपने सपने  और निसुवाथ भाव से अपने आप को लगा देती है। अब चाहे उसे यह कोई पूछने वाले नहीं हैं। की तुम्हारी खुशी किसमे है। किसी को कोई लेना देना नहीं हैं। कि वो क्या चाहती है। बस अपना सारा जीवन घर के कामों में लगा देती है। यह बोलकर तो देखो कि मैं कुछ करना  चाहते हूं। फिर घर में जितने ज्ञान गुरु है। वो सब भार निकलकर आएंगे की तुम्हारा काम ही घर का काम करना । या उसे सुनाया जाता हैं। कि तुम नहीं कर सकती। तुम्हें कुछ भी नहीं आता तुम्हें कोई भी उलू बना सकता है। तुम तो बस घर के काम के लिए बनी हों तुम तो बस घर का काम करो बस यही तुम्हारा काम है। में यह नहीं बोलरही की घर का काम मत करो या घर का काम बुरा है। पर घर में काम करने वाली एक महिला को  समान मिलने का पूरा अधिकार है। चलो हमे वोभी नहीं चाइए। कामसे  -  कम उसे यह तो ताने ना दो की तुमने क्या किया बस तुम्हें तो बेलन चलाना आता है। और तुम कुछ नहीं कर सकती। और फिर उस काम के बीचमे यह बोल कर तो देखो कि मुझे यह प्रॉब्लम हैं। या मेरी टेबियत ठिक नहीं हैं। तो फिर से ज्ञान गुरु आजाते हैं। कि  हमें तो कुछ ऐसा हुवाही ही नहीं। अब मैं उन सब ज्ञान गुरुओ से पूछना चाहती। हूं। कि कुछ होने के लिए तुम्हारे साथ भी वो होना जरूरी हैं। क्या जो उस महिला के साथ हरहा है। नहीं ना पर नहीं फिर अपनी कामयाबी कि कहानियां सुनाई जाएगी। मने तो यह किया लाइफ में मेने तो यहां ठोकर खाई फिर भी मुझे कुछ नहीं हुवा। देखो मैं आज कामयाबी हासिल की है। अब उन ज्ञान गुरुओं से पूछे कि अगर तुमने कुछ उखाड़ लिया हैं। तो तुम यहां क्या करने बैठे हो भाई जाकर और ठोकर खाओ कामयाबी हासिल करो किसने मागा तुम्हारा ज्ञान नहीं चाइए यार तुम्हारा ज्ञान। उसे इस वेक्त तुम्हें ज्ञान की कोई जेरूत नहीं है। उसे ईलाज की जरूरत है। अगर कर सकते हो तो करो नहीं कर सकते तो कम से कम उसे फालतू के ज्ञान तो मत दो । (1) अब आप सोचरहे होगे कि मैं किस बारे में बात कर रही हूं।  में आज हर घर में रहने वाली हर महिला हो या उन लड़कियों की बात कर रही हूं। जो सब कुछ सहन करती हुईं । घर के कामों में अपने आप को बिना किसी इच्छा के और बिना किसी स्वार्थ  के अपने आप को घर के कामों में व्यस्त रहती। हैं। मजाल हैं। वो खुलकर हंसदे। नहीं हेसने के लिए भी उसे आसपास देखना होगा कि उसे कोई देख तो नहीं रहा है। क्यों कि एक लड़की का हंसना भी गलत  समझा जाता हैं। अब बात केरे की अगर वो किसी अंजान  लड़की या किसी अंजान लड़के से बात करे तो भी उसपर कई सारे शब्दों का प्रहार किया जाएगा की तेरा उसका क्या रिश्ता है। वो क्यों तुम्हारे पास आया उसने तुम्हें क्या बोला अब कुछ भी। नहीं बोला हो पर भी उसे बार - बार यही पूछा जायेगा की बोल तुम्हारा क्या रिश्ता है। उसके साथ अगर उसने सच बोला कि ऐसा कुछ भी नहीं हैं। भाई तू जो सोच रहा हैं। कुछ भी नहीं है। फिर भी बोलते है। ना मने सुना तो भाई तूने सुना तो तूही उसी वेक्त बोल देता की ओय तूने मेरी बहन को या तूने मेरी पत्नी को क्या बोला नहीं। वो ऐसा इसलिए नहीं बोलेंगे क्यों कि आपने  आप को समाज के सामने बुरा नहीं दिखाना चाहेगा। और खासकर पुरुष तो बिल्कुल भी नहीं। तो फिर अपना जरिया महिलाओं को बनाया जाएगा । चाहे समाज हों या घर हों मेरा मानना हैं। एक महिला का डिप्रेशन में होना । इसका  यहीं कारण है। की अपने आपको समाज के सामने यह  सेमझाने में कि मैं गलत नहीं हु। यहीं एक महिला के सामने सब से बड़ी चुनौती है । जिसका सामना वो कई सालोंसे करती आरही है। और कर भी रही। है। 
(2) महिलाओं में डिप्रेशन अंजायटी होने के कारण =) मुझे लगता है। की एक महिला के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही हैं। कि वो एक महिला है। एक महिला कि चुनौती समझ रहे हो। मतलब हेकी। एक महीला ही। अपनी दुशम बताती हूं। जब एक ही औरत दूसरी औरत कि दुश्मन बन जाय तो क्या होगा। वही जो पुरुष हमेशा से बोलते आरहे है। की दो महिलाएं एक साथ एक घर में नहीं रहे सकती । क्यू बोलते है। ऐसा क्यों की हमने दिया ऐसे बोलने का मोका अगर एक महिला ही दूसरी महिला का दुःख नहीं सेमझेगी। तो कोन सेमझेगा अगर एक महिला ही एक दूसरे कि भावना की समान नहीं करगी तो पुरुष तो बोलेंगे ना क्यू कि बोलने का मौका तो हम ही तो देरह है। 
(3) एक नारी की व्यथा =) तू रो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला तू भूखी रहे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला तू अपनी इच्छा मारकर चाहे कुछ भी करदे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला तू चाहे अपनी कुसी दूसरो मैं ढूंढ कुसी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला चाहें सिर पीटकर अपनी जान लेले किसी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला एक दिन एक दिन यह बोल कर देख की मुझे अपने लिए कुछ करना है। फिर देख सब तुम्हें पीछे खींचने आजते हैं। नहीं तू नहीं कर सकती । तेरे बस कि बात नहीं है। तू तो बस घर संभाल और बच्चे पैदा कर और आपने आप को पुरुषों के लिंग सजा तुम्हें सिर्फ सेजने का हक पुरुषों के लिए है। तू मरेगी सिर्फ पुरुषों के लिए। बस बहुत हूवा। अपनी पहचान  बनाओ अपनी कमजोरी को ताकत बनाओ घर का काम करना कोई छोटी बात नहीं हैं। आपने काम को अपनी ताकत बनाओ जिस दिन अपने और अपने काम को सामन करना और करवाना सिख गए तो उस दिन से किसी भी पुरुष की हिमत नहीं होगी कि आपको पीछे खींचे । और किसी के भरोसे मत रहो। कोई भी समस्या तुमसे बड़ी नहीं है। समस्या भी तुम ही हों और समाधान भी तुम ही हों। 
( मने जो लेख लिखा है। वो किसी की भावना को दुःख पहुंचाना नहीं है। मै सभी  पुरुषों के बारे में नहीं बोलरही हु। पैर कुछ से ज्यादा पुरूष ऐसे है। की महिलाओं को पीछे रखना अपनी ताकत मानते है। जो बहुत गलत बात है। तुमने कुछ किया ही नहीं फिर भी तुम डरती हो अपने आपको चार दिवारी मे बंद कर लेती हों और दिन रात यहीं सोचती हों कि कही कुछ गलत नहीं होजाये। क्यों कब तक चलेगा ऐसा मै यह नहीं बोल रही की। अपना घर  ही। छोड़ दो नहीं घर में ही रहकर अपनी पहचान बनाओ अपनी ताकत बनो। ) मेने यह अपनी इच्छा और अपनी सोच को जाहिर की है। शायद किसी को बुरी लग सकती है। क्यों की सच कड़वा  होता है। और हर किसी को हजम भी नहीं होता यह उसी को हजम होता है। जो सच की रहा को मानते है। और उसपर चलना जानते है। मुझे किसी रुतबे और और पहचान कि लालच नही है । मुझे एक ही लालच है। वो है। सच का अपने आपसे से सच बोलो अपने आपको सच बोलना सीख गए उस दिन किसी को कोई सेफाई देने कि कोई जरूरत नहीं है। उस दिन तुम बोलोगी और लोग सुनेंगे। में चाहती हू कि मेरा लेख उन सब तक पहुंचे जो मुजेसी घर का काम कर करके अपने आपको को और अपनी पहचान कही खो दी है। अगर आप को यह लेख पसंद आया तो मुझे आगे और मेरे लेख को आगे तक पहुंचाए ताकि मैं अपने आपको साबित कर सकू की में कोमजार नही हु ।

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