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राठ चौहान का इतिहास

Ritin Kumar 14 Jun 2023 आलेख अन्य #रितिन_पुंडीर #इतिहास #सत्य_इतिहास_भाग1 7271 0 Hindi :: हिंदी

राठ नीमराणा वंशावली सहसमल जी बावल तक तथा उससे आगे नानू व बस्तपुर तक का सजरा 
काका कान्हड़दे जी उर्फ काका कान्ह चौहानं वंश के भीष्म सम्राट पृथ्वीराज चौहान के चाचा थे

राठ के चौहानो का इतिहास
01 राजा विजयराज जी जो कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान के चाचा काका कान्ह उर्फ कान्हड़देव के पुत्र राठ में इटौली वर्तमान अटेली गद्दी विराजमान हुए अब राजा विजय राज जी की 06 रानी तथा 07 पुत्र हुए प्रथम रानी धन कंवरी हुडियाखेड़ा, राजा जयपाल की पुत्री, दूसरी बुंदेला राजा बिजेसुर की पुत्री रूपकँवरी बाकी 04 ओर, 

01 कुंवर बड़े लाखनसी ने नई राजधानी            मांढ़न बनाई 

02 कुंवर गोपाल देव कैराने।     (मकराना) गद्दी बैठे

03 कुंवर पदमसी                            सांचोर गए       सांचोरा कहलाये

04 कुंवर वीरसेन जी रणतभंवर वर्तमान रणथंभोर गोद गए सम्राट पृथ्वीराज चौहान पुत्र गोविन्दराज के पुत्र राजा प्रलाहददेव शेर के शिकार होने के पश्चात निकटतम परिवार से होने के कारण राज सुरक्षा के लिए रणथंभोर जाना पड़ा

02राजा लाखणसी के 03 पुत्र व 03 रानी प्रथम रानी राठौड़ राव सीहा जी पुत्री सेतराव जी की पौत्री कन्नौज की रमाकुंवारी दूसरी पंवार राजा सहस मल जी की पुत्री भावनगर तीसरी नाम नामालूम बुंदेलखंड इनके राजा संकट देव जी हुए

03 राजा संकट देव जी के 06 रानी 22 पुत्र हुए प्रथम रानी कच्छवाई तीवर सिंह की पुत्री जीत कंवरी दूसरी मारोठ की तीसरी सिसोदिनी राणा संग्राम सिंह की पुत्री कलावती चौथी बड़गुज्जर हरकंवरी पांचवी राठौर रानी महुआ की 06 रानी बुढ़ापे में ब्याह हुआ राजा हीरामणि की पुत्री पाटन जिसके बारे में अलग से बताया जाएगा 
 छोटे पुत्र लाहदेव जी मांडण गद्दी बैठे 
02 वीर सुमेर  राजा                         इटावा हुए
 03 ब्रह्मदेव                  पूर्वदेश में राजोर ,अटावे
 04 त्रिलोकचंद                              जनवे
 05 ब्रह्मभद्र                                  जनवे
 06 कल्याणदेव।                            जनवे
 07 अजयराज।                             चंडूस 
08 अजयचंद                               पूर्व देश 
09 ताराजीत                                उड़ीसा 
10 विजयराज                             हांसी हरियाणा 
11 तिलोकचंद                             .............. 
12बुध सिंह जी                            कांटी पहाड़ 
13 सूरत सिंह                               काला पहाड 
14 माधो सिंह।                             कालापहाड़
 15 नल देव जी व चंद्र देव जी        लालसोट
 17वीरम चंद्र व बलदेव जी            कुमाऊँ
 19 हर्षदेव जी (धूलकरण)            हरसरू 
20 रामदेवजी                              सोंखर 
21 सहस मल जी                        बावल 
22 लहरों जी                             जसराना गए

सहसमल जी  बावल गये
अजयपाल जी
राजेराव जी के 02 पुत्र
01 राव तेजा जी
02 राव महाल जी के 03 पुत्र
01राव द्रोपाल जी
02 राव चांद सी जी के 06 पुत्र
03 निभर जी

राव चाँदसि जी के 06 पुत्र
01 सुमन जी 
02 कीला जी 
03 अनेसी जी 
04 रणसी जी
05 धीर सी जी 
06 
सभी को 2 ,2 गांव मीले थे जिसमें से रणसी जी को छावन व ..........गांव मिला था 
रणसी जी के 02 पुत्र मेघराज सी जी ने नानू व बस्तीराव जी ने बस्तपुर बसाया था 
इस प्रकार यह सजरा काका कान्ह अजमेर से राठ (नीमराणा)विजयराज सिंह जी से बावल होते हुए छावन होते हुए नानू व बस्तपुर तक का मात्र है बावल में 84 गांव मीले थे राव सहसमल जी को जो उनके पौत्र के बीच मीले

#काका_कान्ह_उर्फ_कान्हड़देव_चौहानं_वंश_के_भीष्म  के बारे में बतलाते है 
01 काका कान्ह के नाम से प्रसिद्ध सम्राट पृथ्वीराज चौहांन के चाचा थे 
02 जिनका भी निकास राठ से है सभी इनके पुत्र विजयराज के वंशज है 
03 काका कान्ह जब तक जीवित रहे सम्राट पृथ्वीराज चौहान के साथ सैदेव हर परिस्तिथि में उनके साथ रहे 
04  हर युद्ध जो सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने जंहा भी लड़ा गया  मे विजयश्री दिलवाई  काश वो अंतिम युद्ध मे भी जिंदा होते तो विजयश्री अवश्य मिलती 
05 इनकी आंखों पर इसलिए पट्टी बंधी रहती थी कि उन्होंने भरे दरबार मे 2 पठान सरदारों के सर अपने हाथों से भीच कर मसल दिए थे जैसे नारियल को भींच कर तोड़ दिया दिया जाता है मसल दिए गए 
06 इन दोनों का सर  इसलिए मसल दिया क्योंकि उन दोनों ने काका कान्ह के सामने अपनी मुछो पर हाथ फेरने की जरूरत की थी वो भी भरे दरबार मे काका कान्ह के होते हुए कैसे सहन कर सकते थे
07 जिनके वंशज आज इतने विशाल क्षेत्रो बसे है जिनमे कई राज्यो में राठ【 निमराणा 】से निकल कर हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड ,उत्तरप्रदेश ,बिहार ,उड़ीसा, मध्य प्रदेश, आदि राज्यो  में गांव के गांव बसे है  समस्त राठ क्षेत्र के साथ साथ राजस्थान के काफी जिलों में अलवर, भरतपुर ,दौसा ,भीलवाड़ा, मकराना ,सांचोर,आदि में बसे है
08 बुंदेलखंड में आज भी आल्हा गाया जाता है जिनमे उनकी तलवार का जिक्र किया जाता है कैसे उनकी तलवार खनक खनक कर चल रही थी 
09 कैसे संयोगिता हरण में उन्होंने बिना बड़ी सेना के कुछ हथियारबंद दस्ते के साथ अकेले गहरवार सेना सेना से मुकाबला तब तक घाटी में रोके रखा जब तक सम्राट संयोगिता सहित दिल्ली न पहुच गए इतने वीर थे काका कान्ह
10 काका कान्ह इतने बलशाली होते हुए भी महाराज सोमेश्वर के छोटे भाई होने के नाते जिस प्रकार महाराज सोमेश्वर के बड़े भाई के पश्चात उनको राज गद्दी मिली थी पृथ्वी राज चौहानं भी अल्पायु होने के कारण गद्दी पर आसीन हो सकते थे परंतु भीष्म पितामह की तरह शक्तिशाली होते हुए भी सैदेव अजमेर राज के प्रति समर्पित रहे उनकी अंतिम सांस भी सम्राट पृथ्वीराज चौहान गद्दी के प्रति समर्पित रही इनकी इसी गद्दी के प्रति कर्तव्यपरायणता के लिए जो क्षेत्र काका कान्ह को दिया गया था उसका कार्यभार उनके जयेष्ठ पुत्र भौम विजयराज को गौद लेकर दिया गया जिन्होंने ऊँटोली वर्तमान अटेली से राज कार्य प्रारंभ किया जिनके पुत्र ने मांढन में गढ़ बनवाया उसके बाद इनके वंशज ने मंडावर को राजधानी कायम की तथा इसी राठ वंशवली में राणा राजदेव ने नीमराणा में नवीन किला बना कर राठ को नई राजधानी दी जिसका संबंध राणा जी के साथ जुड़ा  निम के पेड़ की बहुतायत के कारण व राणा जी के द्वारा नगर बसने के कारण नाम पड़ा नीमराणा इस पहाड़ी की स्तिथि इस प्रकार थी कि दिल्ली की तरफ से होने वाली हर हलचल पर दूर से ही नजर रखी जा सकती थी नीमराणा दिल्ली और समस्त राजस्थान को जोड़ती थी अतः आने जाने पर कर भी लिया जाता था  यह राजधानी उपयुक्त जगह पर होने के कारण आजदी तक कायम रही 
उपरोक्त लेख राठ नीमराणा वंशाली पर आधारित है

#नीमराणा_राठ_का_इतिहास_चौहानं_वंशावली_काका_कान्ह_उर्फ_कान्हड़दे के बाद पहले आपको काका कान्हड़देव के बारे में बतला देते है कि हमारे पूर्वज कितने बलशाली थे काका कान्ह जो कि पृथ्वीराज चौहान III के चाचा(काका) सोमेश्वर के छोटे भाई थे जिनका क्षेत्र राठ का क्षेत्र था जो गुड़गांव तक था वो इतने बलशाली थे कि एक बार आम सभा मे उनके सामने 2 पठान सेनापतियों ने मुछ पर ताव दे दिया उन्होंने तुरंत दोनो की खोपड़ी को भींच कर नारियल की तरह फोड़ दिया था जब तक वो सम्राट पृथ्वीराज चौहान के साथ रहे किसी भी युद्ध मे हार का सामना नही देखना पड़ा संयोगिता सँवयम्बर में भी वो सम्राट पृथ्वीराज चौहान के साथ थे सँवयम्बर में सम्राट पृथ्वीराज चौहान के  साथ बहुत कम ही गए थे जब कन्नौज की सेना के साथ भीड़ रहे थे एक घाटी में इन्होंने व इनके कुछ साथियों ने मिलकर पूरी सेना को रोके रखा जब तक सम्राट दिल्ली न पहुच गए कुछ आदमी पूरी सेना का मुकाबला कैसे कर सकते थे फिर भी जब तक प्राण रहे किसी को आगे नही बढ़ने दिया  बाद में जब सम्राट पृथ्वीराज चौहान की गोरी के साथ अंतिम युद्ध मे हार हुई तो कहा गया था कि काश काका कान्ह जैसे वीर आज जिंदा होते तो ये हार का मुह नही देखना पड़ता इनका जिक्र आज भी बुंदेलखंड में आल्हा गाया जाता है उसमें बड़ी वीरता के साथ लिया जाता है सम्राट पृथ्वीराज के बहुत ही विश्वासपात्र थे  बाल्यकाल में  इन्होंने उनका सभी राजकार्य देखा तथा सहायक रहे हर परिस्तिथि में इनके मरनोउपरांत सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने इनके ज्येष्ठ पुत्र को गोद लेकर राठ क्षेत्र का क्षेत्रधिपति नियुक्त किया काका कान्ह के वंश से  राठ के प्रथम  शासक हुए (इससे पहले भी यहाँ पर अरिमुनि चौहानं वंश से ही है  के वंशज निवास करते थे जो पहले ही करनाल साइड में चले गए थे उनका भी निकास राठ से ही था ) काका कान्ह के पुत्र भौम विजयराज पटवीपुत्र को राठ मिला प्रथम राजधानी बनाई ऊँटोली जो वर्तमान अटेली है चूंकि अब दिल्ली पर राज नही था तो सुरक्षा की दृश्टि से यह ठीक नही थी उसके बाद मांडण उसके बाद मुंडावर उसके बाद नीमराणा राठ की राजधानी रही है वर्तमान वंशावली नीचे दी गई वंशावली में भाग 13 पर आती कहने का मतलब है 1 से 12 तक विजयराज से ऊपर की तथा 13 से नीचे की राठ की वंशावली से है देखे नीचे 

 #राठ_नीमराणा_के_राजपूत_चौहानो_की_वंशावली_सतयुग_तक परम्परा कुछ इस प्रकार है सतयुग त्रेता द्वापर  से आगे चलते है कलियुग तक राठ के राजा जनक सिंह जी तक अगर आप राठ नीमराणा से कभी भी संबंध रहा है तो यह आपके लिए ही है हम आपका संबंध सतयुग से जोड़ते है कृपया ध्यान से पढ़ते रहिये  
चौहान वंश की वंशावली के अनुसार 
 सतयुग में।                     9

 त्रेता युग में                     136 

द्वापर में                          836 

कलियुग में                     162 राजा हुए 

कुल                               1143 अब तक जिनमें

01भाग             9 ऋषि हुए

02 भाग           261 ऋषिराज  हुए 

03 भाग           224 पाल राजा हुए

04 भाग           219 जीत  राजा हुए

05 भाग            208 चंद  राजा हुए

06 भाग            287 मणि राजा हुए 

07 भाग            81 पति राजा हुए

09 भाग             62 सेन राजा हुए 

10 भाग।           39 ध्वज राजा हुए

11 भाग             राणा राजा हुए

12 भाग              माणिक राव से विजय राज तक राजा हुए 

13 भाग           विजय राज इटौली से राठ नीमराणा तक जो राजा हुए 

14 भाग           राज राजदेव जी से राजा जनक सिंह जी तक जितने राजा हुए 

भाग 12

कलियुग में  राजा चंद्रध्वज से राजा हरिभान तक 114 पीढियां हुई राजा हरिभान के महाराज मुकुटमणि राजा माणिक्य राज चौहानं हुए 

01राजा मणिक्यराज           (सांभर गद्दी)

02राजा सिंधुराज

03राजा लाखणसी                (24पुत्र)

#चौहानं_राजपूतो_की_24_खांप 
देखे आप कोनसी खांप से आते है अगर चौहानं है तो 
खांप पुरुष                              खांप।           स्थान
01 विजयराज (आल्हानजी)    आल्हनोत      अजमेर

02 हलबम्ब                             हाड़ा             बूंदी

03 चाहड़                             चंदवारिया      अजमेर

04 खीचर         जीवराज        खींची            गागरोन

05 भादुर         बधारजी       भदौरिया।       भदावर

06 रविदत्त                          राकस्या           रीवा mp 

07 खुमान        सामन्तजी      सीवर।           शिवानपुर

08 भोजराज                       भवर           भिवोत्तरगढ़

09 षिवराज                        षिवर          भिवततोरगढ़

10 मांदल जी                      मंडलेचा           मोडडे

11 जैचंद                           चिवा।            चौरोडे

12 देवलराज                      डेडरिया           डेडर

13 कलवन्त                        कुंपला।         कंपालकोट

14 नरसिंह                         नाहर              निराणे

15 वलराज                        वालेसा           चौडाले

16 बघावत                       बाघोडा।         गढ़वाल

17 गंगेल                           गोहिल।          गढ़गोलपुर

18 गिरराज                       गिल्हा             गिलहकोट

19 भिनवराज                  ओड।             ब्रह्मपुर

20 जीवराज                   जिल्हा             जलानें

21 पद्धमसी                  पाधिया             पाधाने

22 बलदेव                      दुधेड़।             दुधेड़खण्ड

23 देवराज                     देवड़ा।             सिरोही

24 ............            ..........              ......… 
 

04 राजा विजयराज 

05 राजा हरिराज

06 राजा पद्धमसी

07 राजा सालभान

08 राजा अजयराज              (अजमेर )

09 राजा बीसल देव 

10 राजा आना जी (अनैसी)

11 राजा पिथोरा 

12 राजा आलन जी            (आल्हनोत)

13 राजा गैदराज जी

14 राजा बुद्धराज जी

15 राजा कंठपाल जी    (बुद्धराज जी के भाई)

16 राजा गंगदेव जी      (पुत्र सोमेश्वर, कान्हड़देव)

17 राजा सोमेश्वर

18 राजा पृथ्वीराज      (दिल्ली, अजमेर)

19 राजा विजयराज।   (इटौली वर्तमान अटेली)(कान्हड़देव के पुत्र)

नॉट:- इस वंशावली के अलावा भी पहले से दूसरी चौहानं  वंशावली राठ  में शासन कर रही थी जिसका जिक्र बाद में किया जाएगा 

भाग 13

राठ के चौहानो का इतिहास
01 राजा विजयराज जी जो कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान के चाचा काका कान्ह उर्फ कान्हड़देव के पुत्र राठ में इटौली वर्तमान अटेली गद्दी विराजमान हुए अब राजा विजय राज जी की 06 रानी तथा 07 पुत्र हुए प्रथम रानी धन कंवरी हुडियाखेड़ा, राजा जयपाल की पुत्री, दूसरी बुंदेला राजा बिजेसुर की पुत्री रूपकँवरी बाकी 04 ओर, 

01 कुंवर बड़े लाखनसी ने नई राजधानी            मांढ़न बनाई 

02 कुंवर गोपाल देव कैराने।     (मकराना) गद्दी बैठे

03 कुंवर पदमसी                            सांचोर गए       सांचोरा कहलाये

04 कुंवर वीरसेन जी रणतभंवर वर्तमान रणथंभोर गोद गए सम्राट पृथ्वीराज चौहान पुत्र गोविन्दराज के पुत्र राजा प्रलाहददेव शेर के शिकार होने के पश्चात निकटतम परिवार से होने के कारण राज सुरक्षा के लिए रणथंभोर जाना पड़ा

02राजा लाखणसी के 03 पुत्र व 03 रानी प्रथम रानी राठौड़ राव सीहा जी पुत्री सेतराव जी की पौत्री कन्नौज की रमाकुंवारी दूसरी पंवार राजा सहस मल जी की पुत्री भावनगर तीसरी नाम नामालूम बुंदेलखंड इनके राजा संकट देव जी हुए

03 राजा संकट देव जी के 06 रानी 22 पुत्र हुए प्रथम रानी कच्छवाई तीवर सिंह की पुत्री जीत कंवरी दूसरी मारोठ की तीसरी सिसोदिनी राणा संग्राम सिंह की पुत्री कलावती चौथी बड़गुज्जर हरकंवरी पांचवी राठौर रानी महुआ की 06 रानी बुढ़ापे में ब्याह हुआ राजा हीरामणि की पुत्री पाटन जिसके बारे में अलग से बताया जाएगा 
 छोटे पुत्र लाहदेव जी मांडण गद्दी बैठे 
02 वीर सुमेर  राजा                         इटावा हुए
 03 ब्रह्मदेव                  पूर्वदेश में राजोर ,अटावे
 04 त्रिलोकचंद                              जनवे
 05 ब्रह्मभद्र                                  जनवे
 06 कल्याणदेव।                            जनवे
 07 अजयराज।                             चंडूस 
08 अजयचंद                               पूर्व देश 
09 ताराजीत                                उड़ीसा 
10 विजयराज                             हांसी हरियाणा 
11 तिलोकचंद                             .............. 
12बुध सिंह जी                            कांटी पहाड़ 
13 सूरत सिंह                               काला पहाड 
14 माधो सिंह।                             कालापहाड़
 15 नल देव जी व चंद्र देव जी        लालसोट
 17वीरम चंद्र व बलदेव जी            कुमाऊँ
 19 हर्षदेव जी (धूलकरण)            हरसरू 
20 रामदेवजी                              सोंखर 
21 सहस मल जी                        बावल 
22 लहरों जी                             जसराना गए 

04 लाहदेव जी रानी 05 पुत्र 02 मुंडावर गद्दी( राठ) प्रथम रानी जादौन (यादव) मथुरा की हरकंवरी दूसरी शेखवात अमरसर राव देवकरण की सिरेकांवरी तीसरी गौड़ रानी चंद्रकांवरी राजा बिहड़देव की श्योपुर चौथी ......      पहुपकँवरी पांचवी सोलंकी रानी रामाकंवर राव रामचंद्र टोक 
पुत्र अंजनदेव व राजदेव पुत्री जामकांवर

भाग 13 का ll भाग

राठ के चौहानो का इतिहास

05 अंजनदेव जी 
बड़े  पुत्र मदनसी     
 दूसरे बड़देव जी 
तीसरे कीरत जी।                  दुबिदुघोड़ गए 
चौथे विनेसी जी।                 साथ गए 
एक बाई कान्हकंवर राणा सांगा              चित्तौड़गढ़ 

06मदनसी जी राणा पुत्र पदमसी बाई चाँद कंवर अम्बर 

07 पदमसी जी पुत्र मोकलसी दूसरे बेरिसाल जी 

08 राणा मोकलसी  पुत्र धीरदेव जी

09 राणा धीरदेव जी 19 पुत्र 

01 अनैसी जी                                 गद्दी बैठे 
02 षेतसी जी                                   रताय गए 
03 जेतसी जी                                   कांकर 
04 अजयराज।                                  मोरदे 
05 जगसहाय जी                             खुंदरोठ 
06 दूलोजी                                      बधिन 
07 मदनसी जी                                कूल गए 
08 हाथीराम जी                               आंतेला 
09 पांचोजी                                     पांच पहाड़ी 
10 बाघसिंह जी                                बसई 
11 चंद्रसेनजी                                  माहपुर 
12 भोजराज जी                              महापुर 
13 उदयपाल जी                               बानसूर 
14 गिरराज जी                                गिरराजपूर् 
15 विजय सिंह जी 
16 भुराजजी 
17 कुंतल जी                          तीनो ना औलाद रहे
 18 महरसी जी                              धमारी 
19 ........

10राजा अनैसी जी 
पुत्र नानिगदेव जी 
दूसरे भोजराज जी

11राणा नानिगदेव जी 
 प्रथम हाला जी गद्दी दूसरे 
हमीर जी                                  हमीर पुर 
तीसरे वीरमदेव जी।             (बिजवाड ,बिचला )गए

12 राणा हाला जी 
प्रथम पुत्र हाँसा जी मुसलमान हो गए        मुंडावर रहे 

दूसरे पुत्र राघोजी उर्फ राजदेव जी ने मुस्लिम धर्म स्वीकार नही किया राठ की नई राजधानी नीमराणा बनाइ

 तीसरे पुत्र बीडददेवजी                  बर्डोद राणा जी कहलाये 
04 निहाल जी                        मुंडावर रहे मुसलमान हुए
 05 तेजसिंह जी                    बड़ली गए 
06  रुदोजी                            भी बड़ली गए
 07 भोजराज जी 
........
भाग 14

राठ के चौहानो का इतिहास नीमराणा

01राजा राज देव जी ने राठ की राजधानी मुंडावर से  नीमराणा स्थापित की चूंकि मुंडावर मुस्लिम राज्य होने के कारण दिल्ली के सूलतान से सीधी लड़ाई मोल ले ली थी ओर बादशाह को घेर कर पकड़ लिया था यह लड़ाई हरेई नामक कीसी स्थान पर हुई थी लड़ाई से वापस आते हुए चौबारा ओर तत्कालीन लुहाना खेड़ा (शाहजहापुर) के पास इनका देहांत हो गया जंहा पर इनका देहांत हुआ वो स्थान वर्तमान में वृंदावन नामक स्थान पर उनकी बहुत सुंदर छतरी बनी है परंतु देखरेख के अभाव में टूटती जा रही है देखे चित्र में इनके 5 रानी 01राठौड़ छाड़ा की पुत्री टोडरमल जी पोती महुआ की दाड़म दे 02 सिसोदिया राणा चूंडा की पुत्री उदयपुर की सिवकंवरी 03 बिकोजी राज जोधाजी  की पुत्री मानकंवर 04 मरोठी 05 सोलंकी पुत्र पूरण जी जो नीमराणा गद्दी पर बैठे 
02 रावमोकालजी              घिलोठ  इनके पुत्र गुगलकोटा गए 

03 गुंदराज जी       चौबारा(शाहजहापुर)

04 कालू जी           कांकर 

02 राजा पूरणमल जी ने किले के निर्माण करवाया पुत्र बिझलसिंह जी गद्दी पर

 02 रोहताश जी                   टांकडी 

03 पीपाजी।                        राजगढ़ 

04 सालमदेव जी                   कुतिना 

 06 मानक चंद जी।              गिगलाना

 07 गोपीनाथ जी                  खुंदरोठ 

03 राजा बिंझराज जी
 पुत्र नरूदेव जी 
02 गोइंद राज जी 
03षूदर जी

04 राजा नरु जी पुत्र 
जैत सिंह जी  गद्दी बैठे 
दूसरे कुम्भाजी।                        बेलनी गांव

05 राजा जगत सिंह जी पुत्र 
प्रताप सिंह जी गद्दी पर बैठे 
छोटे लाखा जी                         गिगलाना गए

06 राजा प्रताप सिंह जी पुत्र 
डूंगर सिंह जी गद्दी पर 
02सेतराज जी                        जागिराबाद 
03 भानु जी                            तेजपुर

07 राजा डूंगर सिंह जी पुत्र 
खड़क सिंह जी 
02 रामदास जी                         रामपुर गए

08 राजा खड़ग सिंह जी पुत्र कल्याण सिंह 

09 राजा कल्याण सिंह जी 

10 राजा बाल करण सिंह जी 

11 राजा रघुनाथ सिंह जी पुत्र
  जैत सिंह गद्दी
 02 रामसिंह 
03 सुजान सिंह                   ।दोनो  डाबड़वास 

12 राजा जैत सिंह जी 

13 राजा प्रताप सिंह जी पुत्र 
चतुर सिंह गद्दी 
02 राम सिंह जी                        बसाई गए 
03 अण सिंह नाओलाद

14 राजा चतुर सिंह जी  पुत्र टोडर मल चतुर्भुज मंदिर बनवाया

15राजा टोडरमल सिद्धनाथ महादेव जी का मंदिर पहाड़ पर बनवाया

16 राजा महा सिंह जी नीमराणा बावड़ी का निर्माण नीमराणा भैरू मंदिर की स्थापना करवाई  पुत्र 
नॉनदसिंह 
02 छत्रसाल सिंह दोनो फौत हुए तब ठाकुर लाल सिंह जी के पुत्र चंद्र भान सिंह को गोद लिया बसई भोपाल से राजसहब ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और लड़ते हुए  वीरगति पाई

17 राजा चंद्रभानु सिंह जी पुत्र 
01पृथ्वीराज सिंह                          गद्दी
02 बख्तावर सिंह                       सराय (किला निर्माण)
03 लक्ष्मण सिंह                    UP   रुनसी (ससुराल में)
इनका रुनसी का सजरा पुत्र 
01 राव रूप सिंह पुत्र बलदेव सिंह नाओलद दूसरे पुत्र तारा सिंह के जुगल सिंह के छात्रपालसिंग
02राव अजीत सिंह
03 राव गोकल सिंह

18 राजा पृथ्वी सिंह प्रथम रानी रेवाड़ी के राजा हरिसिंह की पुत्री 02 नरुका बख्तावर सिंह की पुत्री 03 चंपावत जोरहाट कल्याण सिंह की पुत्री , पुत्र 01 विजय सिंह 02 विशाल सिंह03 डूंगर सिंह 04 जालम सिंह

19 राजा विजय सिंह जी 

20 राजा ईश्वरी सिंह जी निशान्तान होने पर छोटे भाई भीम सिंह को गोद लिया इनकी छतरी विजय बाग में है 

21 राजा भीम सिंह जी निशान्तान रहे रुनसी के ठाकुर कुंदन सिंह के पुत्र मुकुंद सिंह को गोद लिया अपने जीवनकाल में ही राजतिलक किया

22 राजा मुकुंद सिंह जी 

23 राजा जनक सिंह जी जन्म 1875 मेयो कालेज में पढ़े प्रथम विवाह 1894 दूसरा 1899 तीसरा तसिंग  से हुआ प्रथम रानी थाना से उमराव सिंह जी जिनके पुत्र राजा राजेन्द्र सिंह जी हुए वही  दूसरी रानी से 01रघुराव सिंह जिनके पुत्र रणजीत सिंह व यक्षणारायन सिंह 02 सुमेर सिंह जिनके पुत्र केसरी सिंह व जितेंद्र सिंह 03हमीर सिंह जी के पुत्र केशव कुमार सिंह हुए

24 राजा उमराव सिंह विवाह झिलाय के कछवाहा की पुत्री से हुआ

25राजा राजेन्द्र सिंह राजतिलक1945

-रितिन पुंडीर ✍️

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