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श्रीराम के जीवन से क्या सीखा

Pinky Kumar 30 Mar 2023 आलेख समाजिक राम के जीवन से हमने क्या सीखा 86614 0 Hindi :: हिंदी

श्रीराम के जीवन से सीख =) क्या हमने कभी अपने आप से पूछा कि हम दीवाली क्यों मनाते आ रहे है। और क्यों मनाते है। हम सब का जवाब लग-भग एक ही होगा की श्रीराम14 वर्ष बाद वन से अयोद्धा लोटेने कि खुशी में हम दीवाली मनाते है। हमने असल में राम से क्या सिखा श्रीराम का जीवन कैसा था हम और आप अच्छी तरह से जानते है। पर हम सच्चाई को झुठलाकर झूठ को अपना रहें है। श्रीराम त्याग कि मूर्ति है। श्रीराम को जीवन में जो कुछ भी मिला उसे वह त्यागते चले गये श्रीराम को राजा बनने का पद भार मिला वह उसे भी त्यागते चले गये श्रीराम ने अपनी पत्नी सीता का त्याग किया श्रीराम को सोने की लंका पर विजय हासिल कि श्रीराम ने उसका भी त्याग किया श्रीराम ने अपने बच्चों का त्याग किया श्रीराम को मृत्यु भी प्राकृतिक नहीं आयी उन्होंने अपने शरीर को भी त्याग दिया श्रीराम का जीवन सादा सरल और लोगों कि भलाई के लिये जिया और धरती पर धर्म कि संस्थापना के लिये उन्होंने अपना समस्त जीवन त्याग दिया श्रीराम तो त्याग प्रेम कि मूर्ति है। हम जिस दिवाली पर नये कपड़े खरीदते है। अच्छे - अच्छे पकवान बनाते है। अच्छा खाते है। और सोना चाँदी खरीदते है। क्या कभी श्रीराम को वनो में ऐसे जीवन बिताते देखा है। अरे जिसने  सोने कि लंका पर विजय हासिल कि उन्होंने उसे भी त्याग दिया। हम उस दिन राम के नाम पर सोना खरीद रहें है। श्रीराम त्याग का प्रतीक है। राम का जीवन हमें हमारे जीवन लक्ष्य पर कैसे अडिक रहें यह सिखाता है। श्रीराम असाहयको के सहायक थे श्रीराम में अपनत्व का भाव था श्रीराम ने मानवता के कलायण के लिये दुःखो को भोगा और हम मानव उनके दुःख में खुशी मनाते है। श्रीराम के उत्सव में हमें बुरी आदतो को त्यागने कि बजाये भोग विलास  त्यागने कि बजाये हम उनके नाम पर समस्त भोगों और विलास को भोगते है। में यह नहीं बोल रही हूँ कि सब कुछ छोड़कर भाग जाओं मेंरे कहने का अर्थ यह है की समस्त भोगों को भोगते हूँ उसमें से प्रभू भक्ति का मार्ग खोजले और संसार कि किसी भी भोग विलास वस्तुओं का उसपे कोई  फर्क ना पड़े वो सचा त्यागी होता है। अपने पैसे और अपने जीवन के हर समय को प्रभू भक्ति और ज्ञान प्राप्ती में लगायें यही जीवन का सही उदशय है। जीस श्रीराम ने राजश्री वस्त्रों का त्याग कर दिया हम उनके नाम पर नय कपड़े पहनते है। जीस श्रीराम ने राजश्री भोजनों का त्याग कर दिया हम उनके नाम पर पकवान बनाते है और खाते है। जिस श्रीराम ने समस्त राजश्री रथो और घोड़ो का त्याग कर दिया हम उनके नाम पर गाड़ीया खरीदते है। जीस श्रीराम ने सोने कि लंका पर विजय हासिल किया हम उनके नाम पर सोना चांदी खरीद रहे है। जीस श्रीराम ने अपना शरीर त्याग दिया हम उनके नाम पर अपना शरीर चमकाये जा रहे है। श्रीराम ने संसार के समस्त भोगो का त्याग किया हम उन्हें ही भोगते जा रहें सही कहते है। अब हर घर में रावण बेठा है। इतने राम कहाँ से लाऊ मनुष्य अपने भोग विलास में इतना अन्धा होगया कि उसने भगवान को भी नहीं छोड़ा भगवान के नाम पर व्यापार किया जाता है। भगवान के नाम पर राजनीति कि जाती है। आज कल के युवा रावण को अपना भगवान मानने लगे है। और भगवान के नाम पर जिस प्रकार धारावाहीक बन रहे उनका कहना ही क्या मनुष्य अपने विचारो से भगवान को एक अलग रूप दे बैठे है। या में कहू की अपना ही रूप दे रहे है। इस कलयुग में इंसान ही भगवान बन रहा है। राम का जीवन यथाह प्रेम, त्याग, और बलिदान का जीवन है। श्री राम हमें यहे सिखाते है। की कैसे हम अपने जीवन को जिये कैसे हमारे  जीवन को एक सही दिशादे पर हम इंसान उनका नाम भी अपने स्वार्थ पूर्ति के लिये लेते भगवान के नाम को या में कहूँ कि भगवान को हमने व्यापार का साधन बना दिया उनके नाम पर पैसे लेकर अपने जीवन को भोग विलास में व्यतीत कर रहे है। और दिखाते देखो हम कितने बड़े भक्त है। भगवान के नाम पर दिखावा ज्यादा और भक्ति कम करते है। भगवान के नाम पर इतने फन्ड आते है। तो वो फन्ड जाता कहाँ है। क्योंकि अगर फन्ड का पैसा आता है। तो देश में इतनी गरीबी कैसे है। अब कहोंगे कि देश की गरीबी दूर करने का काम तो देश कि सरकार का है। हमारा थोड़ी ना है। तो बन्द करो भगवान के नाम पर पैसा कमाना हम इंसानो ने भगवान को भी नहीं छोड़ा हम उनके नाम को भी भोग रहे है। हम इंसानों ने जंगलो, पहाड़ों, नदिया, पेड़ पौधे आदि किसी को भी नहीं छोड़ा जहाँ - जहाँ हमारी पहुँच गयी वहाँ - वहाँ तक हमने सबको भोगा है। और भोग ही रहे है। और प्रकृति में कुछ भी बुरा होता है तो हम भगवान को दोष देते है। क्यों जब भोग रहे थे तब भगवान से पूछा था कि हम भोग रहे। है। तो अब कुछ बुरा होता है तो भगवान को दोष क्यों देते है। भगवान को भगवान ही रहने दो उन्हें अपने जीवन का भोग विलास का साधन मत बनाओं आजकी युवा पीड़ी भगवान के नाम पर फैल रहे आडम्बरो और अंधविश्वासों में फसी चली जा रही है। और राम का जीवन तो इनसे भी ऊपर है। जब हम ध्यान से रामायण का अध्ययन करेंगे और जीतना  राम के बारे जानेगे उतना ही हमें उनसे लगाव होगा या में कहू कि भगवान में विश्वास बढ़ेगा और उतना ही हम श्रीराम के करीब हम अपने आपको पायेंगे श्रीराम का जीवन हमारे लिये एक प्रेरणा है। जिसे जितना धारण करेंगे उतनी ही एक ताकत मिलेगी और श्रीराम जैसा त्याग, दुख तो हमें मिला ही नहीं अगर श्रीराम जैसा जीवन हमें मिल जाये तो हम भगवान हर वक्त दोष देते रहें पर श्रीराम ने कभी किसी को दोष नहीं दिया और अपना कत्वय समझकर धर्म कि स्थापना कि ताकी हम इंसान अपना जीवन सुख से जिसके और हम इंसानों का काम है। उस धर्म को जिंदा रखना जय श्रीराम🙏🙏

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