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विचारों का तप ही सच्ची तपस्या है...

DINESH KUMAR SARSHIHA 30 Mar 2023 आलेख धार्मिक #तप,#विचार 7637 0 Hindi :: हिंदी

विचार एक प्रचंड शक्ति है,वह भी असीम, अमर्यादित,अणु-शक्ति से भी प्रबल!विचार जब घनीभूत होकर संकल्प का रूप धारण कर लेता है,तो प्रकृति स्वयं अपने नियमों का व्यतिरेक करके भी उसको मार्ग दे देती है।इतना ही नहीं उसके अनुकूल बन जाती है।मनुष्य जिस तरह के विचारों को प्रश्रय देता है,उसके वैसे ही आदर्श,
हाव-भाव,रहन-सहन ही नहीं,शरीर में तेज मुद्रा आदि भी वैसे ही बन जाते हैं।जहां सदविचारों की प्रचुरता होगी,वहां वैसा ही वातावरण बन जाएगा।ऋषियों के अहिंसा,सत्य,प्रेम,न्याय के विचारों से प्रभावित क्षेत्र में हिंसक पशु भी अपनी हिंसा छोड़कर ,अहिंसक पशुओं के साथ विचरण करते थे।जहां घृणा,द्वेष,क्रोध,आदि से संबंधित विचारों का निवास होगा,वहां नारकीय परिस्थितियों का निर्माण होना स्वाभाविक है।मनुष्य में यदि इस तरह के विचार घर कर जाएं कि मैं अभागा हूँ ,दुखी हूँ,दीन हूँ ,तो सदा दिन हीन परिस्थितियों में ही पड़ा रहेगा।इसके विपरीत मनुष्य में सामर्थ्य, उत्साह,आत्मविश्वास और गौरवयुक्त विचार होंगे, तो प्रगति,उन्नति स्वयं ही अपने द्वार खोल देगी।मनुष्य के विचार शक्तिशालीचुंबक की तरह है,जो अपने समान धर्मी विचारों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।विचारों तप ही सच्ची तपस्या है।

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