DINESH KUMAR SARSHIHA 17 Jun 2023 आलेख धार्मिक #अध्यात्म#adhyatm#विज्ञान#vigyan 7299 0 Hindi :: हिंदी
विज्ञान से अध्यात्म की ओर.... अध्यात्म और विज्ञान एक ही सिक्के के दो पहलू हैं,इसलिए इसे एक दूसरे का परिपूरक माना जाता है।विज्ञान और अध्यात्म के पारस्परिक अन्योन्याश्रित सहयोग पर ही इस धरती का भविष्य टिका हुआ है।मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो अध्यात्म और विज्ञान के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी है।समस्त ब्रह्मांड में मनुष्य ही भौतिक तथा अध्यात्म दोनों का सर्जक,पोषक एवं व्यवहारकर्ता है।मनुष्य के देह से परे इन्द्रियां हैं,इन्द्रियों से परे मन है तथा मन से परे सूक्ष्मशरीर व आत्मा है।हमारे सभी अंग व्यवहार व गुणदोष में एक दूसरे से अलग होते हुए भी परस्पर जुड़े हुए होते हैं।शरीर व इन्द्रियां भौतिक कार्यों में लगे रहते हैं।सूक्ष्मशरीर व आत्मा आध्यात्मिक उद्देश्यों की पूर्ति में लगे रहते हैं।चेतना का परिष्कार ही अध्यात्म है। अध्यात्म की तुलना उस कामधेनु गाय से की जा सकती है जिसका दूध वेदरूपी ज्ञान -विज्ञान के समान है।स्वाध्याय के माध्यम से ही हम उस ज्ञान-विज्ञान रूपी दुग्ध का सेवन कर सकते हैं।चूंकि सामान्य जन उस दुग्ध को पचाने में असमर्थ है इसलिए शास्त्रों और पुराणों में इसे स्मृतियों के रूप में सहज और सरल बनाकर ग्रहण करने योग्य बनाया गया है।कालांतर में जब लोगों में अध्यात्म के प्रति अश्रद्धा जागने लगी तो मनीषियों ने उसे विज्ञान की कसौटी पर कसा।उपनिषद के रूप में सिद्धान्तों को दधि के रूप में संग्रहित किया।इस दधि का मंथन भगवान श्रीकृष्ण ने किया।और गीता के रूप में समस्त संसार को प्रस्तुत किया।अध्यात्म और विज्ञान के इस अदभुत मिलन को सभी धर्म और संप्रदाय के लोगों ने स्वीकार किया है।अध्यात्म में प्रविष्ट होने के लिए हृदय की पवित्रता अति आवश्यक है।आध्यात्मिक जीवन में जब चेतना की अभिव्यक्ति होती है तो इच्छाएं वासनाएं लुप्त होने लगती है।सदियों से भारत का इतिहास अध्यात्म के आदर्श पर आधारित रहा है। भौतिक से सम्पन्न मानव अब अध्यात्म हेतु भटक रहा है।आज की भौतिक दुनिया हमें मानसिक शांति देने में अक्षम रहा है।विज्ञान की उपलब्धियों के साथ यदि अध्यात्म का सामंजस्य हो जाता है तो सम्पूर्ण मानव जाति का कल्याण हो जाएगा।आध्यात्मिक आनंद दिखावेरहित परोपकार,त्याग,प्यार,व करुणा के भावों से ही प्राप्त किया जा सकता है।स्वस्थ शरीर में स्वच्छ मन,निर्मल भाव का विकास संभव है।मन एवं भाव का परिष्कार ही अध्यात्म है।इस प्रकार विज्ञान से अध्यात्म की ओर की यात्रा सहज- सरल हो जाती है।
I am fond of writing Poetry and Articles.I enjoy writing about culture,social and divine subjects.S...