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खामोशी-ये दर्द भरी खामोशी क्यों

Samar Singh 24 May 2023 गीत दुःखद जब वो भुला दिये सब कुछ,जिन्हें हम सब कुछ मानते थे, फिर हर इंसान के चेहरे पर खामोशी आ ही जाती है। 7429 0 Hindi :: हिंदी

गुमसुम से बैठे हो, 
ये चेहरे पे उदासी क्यों? 
हँसने - खिलने वाले चेहरे पे, 
ये दर्द भरी खामोशी क्यों? 

डाली से पत्ता टूटता है, 
यूँ नाचकर जमीं पर कैसे बिखरता है। 
जब साथी कोई छूटता है, 
सारे रोम तड़पकर कैसे सिहरता है। 

ये आँखों के सामने, 
कैसा कुहरा छा गया। 
आज दिन में भी अंधेरी, 
रात का पहरा आ गया। 

खामोशी है, 
उदासी है, 
हम तो वीराने के, 
निवासी है। 

बागों के सारे,
बागी भँवरे होकर गए। 
फूलों से खुशबू जब, 
किनारा कर गए।। 

इसीलिए गुमसुम से बैठे है, 
चेहरे पे उदासी है। 
हँसने- खिलने वाले चेहरे पे, 
ये दर्द भरी खामोशी है। 

रचनाकार- समर सिंह " समीर G "

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