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शिवराज आनंद

शिवराज आनंद

शिवराज आनंद

@ --14
, Chhatisgarh

Hindi bloger & writer

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My Articles

(मनुष्यों को अपने हृदय की सु बुद्धि से दीपशिखा जलाने चाहिए।उन्हे इक दुसरे के मध्य भेदभाव डालकर मौजमस्ती नही करनी चाहिए।मौजमस्ती � read more >>
सतयुग, त्रेता न द्वापर के, हम कलयुग के प्राणी हैं। हम- सा प्राणी हैं किस युग में ? हम अधम देह धारी हैं। हमारा युग तोप-� read more >>
बेवफा ! अपनों के लिए ... ओ ' धन्य ' जिसने आंख बन्द होते हुए भी दुनिया के हसीन नजारों को देख लिया था . सात सुरों के संगीत को अपने सांसो read more >>
प्रेम-जगत १ प्रेम जगत संसार का रंगमंच है और हम सभी इस रंगमंच के पात्र।) विज्ञो का मत है की आदि मानव ने प्रेम की आदिम आग की उष्णता से read more >>
प्रेम-जगत १ प्रेम जगत संसार का रंगमंच है और हम सभी इस रंगमंच के पात्र।) विज्ञो का मत है की आदि मानव ने प्रेम की आदिम आग की उष्णता से read more >>
प्यारे तुम मुझे भी अपना लो । गुमराह हूं कोई राह बता दो। युं ना छोडो एकाकी अभिमन्यु सा रण पे। मुझे भी साथले चलो मानवताकी डगर पे।। वहां read more >>
मेरे जीने की आस जिंदगी से कोसो दूर चली गयी थी कि अब मेरा कौन है ? मैं किसके लिए अपना आँचल पसारुंगा ? पर देखा-लोक-लोचन में असीम वेदना� read more >>
जिनके दिल टूटे हैं चलते कदम थमे हैं, वो जीना जानते हैं । ना जख्मों को सीना जानते हैं ।। तुम उन्हें भी अपना लो ।प्यारे तुम मेरी बात मान � read more >>
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