मां के पेट से नन्ही बिटिया बोल रही हूँ
जीवन जीने से पहले ,जीवन जीने से पहले,
तुम मुझे ना मारो पापा जी ! पापा जी ! पापा जी !
मां के पेट से नन् read more >>
कोई लौटा दे वो दिन ,
जिसमें खेला था मेरा बचपन।।
चू -चू कर चिड़िया आती थी,
बिखरे दाने चुन -चुन आंगन से खाती थी।
मैं दौड़ कर उन्हें पकड़ा कर read more >>
एक मूरख नारी को कब,ना जाने किसने। लपेटा था।
ज्ञात हुआ तब लोगों को, जब जना नारी ने बेटा था।
कहने को वह मूरख थी, पर पुत्र प्रेम की क्षमता थी read more >>