एक घर के सामने सडक बन रही थी,
गरीब मजदूरिन वहाँ काम कर रही थी.
मजदूरिन के घर का सारा बोझ उसी पर पडा था,
उसका नन्हा सा बच्चा साथ ही खडा था.
उ read more >>
ठन गई!
मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई� read more >>
देखते ही देखते जवान,
“माँ-बाप” बूढ़े हो जाते हैं…
सुबह की सैर में,
कभी चक्कर खा जाते है,
सारे मौहल्ले को पता है,
पर हमसे छुपाते है&hellip read more >>
चल रहा हु रास्ते से अनजान हूँ,
लिख रहा हु हर लफ्ज से अनजान हूँ,
कुछ बात होगी मेरे जीने मे
जी रहा हूँ पर दर्द से अनजान हूँ,
एक मोड़ आया जिं� read more >>
माँ झूठ बोलती है,
सुबह जल्दी उठाने सात बजे को आठ कहती
नहा लो, नहा लो, के घर में नारे बुलंद करती है ,
मेरी खराब तबियत का दोष बुरी नज़र पर मढ़त� read more >>