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Baba ji dikoli

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@ baba-ji-dikoli
, Uttar Pradesh

आजाद कवि

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My Articles

मिट गये बो लोग जो मुहोब्बत को हीर और खुद को राँझा समझते थे। सलामत रहा हमारा बजूद क्योकि हम, खुद को आवारा समझते थे। #babajidikoli read more >>
गर मिला है हुस्न तो उसकी हिफाजत करो। यु बेमतलव न सराफत का इम्तेहान लो बड़ी मुश्किल से रोक रखा है खुद को यु बेमतलब न बुझी आग को हवा दो। @bab read more >>
लुटाता था कभी जो जान मुझपर। अब वो किसी और पर लुटाता है। खता ये नही की वो किसी और को चाहता है। परेशानी ये है कि वो इसे पागल बनाता है। @babajidiko read more >>
जब सब सो जाते है तो हम सपने इक्तयार करते है। बिना मेहनत के भला कब सपने साकार बनते है। @baba ji dikoli read more >>
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