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Meena ahirwar
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, Chhatarpur ( m.p)
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साँझ ढले तो घर आना तुम-कई उम्मीदों को फ़िर लाना तुम
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गुजरे उस शाम की तलास ना थी-जब पापा की गोद में सिर था
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प्रेम का दीप दिल में जलाने लगी-सबको अपना में कहकर बुलाने लगी
प्रेम का दीपक दिल में जलाने लगी सबको अपना में कहकर बुलाने लगी याद जब भी माँ की सताने लगी सासों को माँ तब बुलाने लगी सबको दिल मैं अपने
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सपनो की उड़ान-मेरी उड़ान होंगी इतनी ऊँची
पैरों तले जमीन न थी जिसके, उसी को आसमान की चाहत थी। रात बिताई आँधी तूफ़ान में जिसने, उसको सपनो की उड़ान काफी थी। ये दिन भी बदलेगा एक द
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सबके मन को भाती चिड़िया- ऊँचे आसमान में उड़ जाती
चुन- चुन कर वो दाना खाती, सबके मन को, कितना भाती । कभी इधर तो कभी उधर, ऊँचे आसमान में उड़ जाती। एक डाल से दूसरे डाल पर, कितनी चेह-चाहती
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कैसी ये दुनिया है माँ जो सिर्फ कमियों को देखती- जब कमियाँ ही सब कुछ होती
हैं सिखाया तुने माँ , ये दुनिया वैसी होती हैं। जैसा सोचेंगे हम , उनका मन वैसा होता हैं। कहीं नज़र ना आया माँ, जैसा तूने सिखाया था।
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जागो- जागो देश की नारी-अब तो संकल्प करो
जागो- जागो देश की नारी, अब तो संकल्प करो। लड़ना हैं ख़ुद ही जीवन में, ख़ुद को तैयार करो।। नारी हिंसा,अत्याचार,शोषण,का शिकार ना बनो।
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नारी शक्ति समर्पण तु-हर नारी मैं दुर्गा
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बदले की भावना जहां वहां कौन किसी का
बदले की भावना जहाँ , वहां कौन किसी का । ये भावना तो बिना पौधों के, ही पनप जाती। किसे लाभ किसे हानि, कौन सोचता इतना । होस तब आता, जब
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उलझन-बहुत कुछ छूट जाता
बहुत कुछ पाया , तो बहुत कुछ छूट जाता । कुछ याद रहता , तो कुछ यादों से ही मिट जाता। क्या हो रहा , ख़ुद ही समझ नहीं आता। कभी ख्वाबों को ल
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