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पिन्दु कुमार

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मुषक राज है नाम मेरा वाहन हूँ मै श्री गणेश का दूटी -फूटी झोपड़ियो हो या चाहे कोई खेत - खलिहान सभी जगह है आश्रय मेरा जिस जगह पे हो मनुष्य read more >>
बेचैन है दिल मेरा कुछ कहने को लेकिन कहना नहीं चाहता दिल मेरा क्योंकि पता नहीं कहने पे कहीं बबाल न हो जाए युवा लेखक पिन्दु कुमार read more >>
कृषक होते कितना परिश्रमी करते रहते हर वक्त अपने खेत - खलिहानों में कार्य चाहे गर्मी ,वर्षा हो या सर्दी के मौसमों का बहार सूर्य के गर्म read more >>
1 .खेलना है तुम्हें तो, आग से नहीं कलम तथा कागज से खेलो । आग तो तुम्हें जला के, राख कर देगी । कलम तथा कागज तुम्हें, आसमान में उड़ना सीखाए read more >>
चदाँ मामा के यहाँ चलो न तुम्हे , मुझे कुछ दिखलाना है। कैसे है मेरे चदाँ मामा कैसे हैं उनके यहाँ के वासी बातें करेंगे उनसे जाने पे उनको read more >>
मैं जिस जगह पे, रहता था । वहाँ न कोई आता - जाता । चारों तरफ जो, थी सूखी नदियाँ न था उसमें थोड़ा सा भी पानी खेत - खलिहानों में फसलें न थी । पड read more >>
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