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पिन्दु कुमार
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पिन्दु कुमार
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पिन्दु कुमार
@ panatha-kamara
, Bihar
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मुषक राज-वाहन श्री गणेश का
मुषक राज है नाम मेरा वाहन हूँ मै श्री गणेश का दूटी -फूटी झोपड़ियो हो या चाहे कोई खेत - खलिहान सभी जगह है आश्रय मेरा जिस जगह पे हो मनुष्य
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प्रेम या दोस्ती-हकीकत में बदल देगें
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कहना नहीं-बेचैन है दिल मेरा कुछ कहने को
बेचैन है दिल मेरा कुछ कहने को लेकिन कहना नहीं चाहता दिल मेरा क्योंकि पता नहीं कहने पे कहीं बबाल न हो जाए युवा लेखक पिन्दु कुमार
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नन्ही सी प्यारी बच्ची-माँ मैं हूँ नन्ही सी प्यारी एक बच्ची हूँ
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अलविदा अलविदा - अलविदा में तुम्हें कहके जाता हूँ अलविदा
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कृषक का जीवन-कृषक होते कितना परिश्रमी करते रहते हर वक्त अपने खेत में कार्य
कृषक होते कितना परिश्रमी करते रहते हर वक्त अपने खेत - खलिहानों में कार्य चाहे गर्मी ,वर्षा हो या सर्दी के मौसमों का बहार सूर्य के गर्म
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प्रेरणा-खेलना है तुम्हें तो आग से नहीं कलमे तथा कागज से खेलो
1 .खेलना है तुम्हें तो, आग से नहीं कलम तथा कागज से खेलो । आग तो तुम्हें जला के, राख कर देगी । कलम तथा कागज तुम्हें, आसमान में उड़ना सीखाए
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चदाँ मामा-के यहाँ चलो न तुम्हे मुझे कुछ दिखलाना है
चदाँ मामा के यहाँ चलो न तुम्हे , मुझे कुछ दिखलाना है। कैसे है मेरे चदाँ मामा कैसे हैं उनके यहाँ के वासी बातें करेंगे उनसे जाने पे उनको
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बदलाव-मैं लौटा अपने गाँव में जब नहीं मिला मुझे देखने को कोई खेत
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सुनसान जगह-मैं जिस जगह पे रहता था
मैं जिस जगह पे, रहता था । वहाँ न कोई आता - जाता । चारों तरफ जो, थी सूखी नदियाँ न था उसमें थोड़ा सा भी पानी खेत - खलिहानों में फसलें न थी । पड
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