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Pravin Chaubey
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Pravin Chaubey
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@ pravin-chaubey
, Maharashtra
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आ मैं तेरी याद में सब को भुला दू
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रोने से तकदीर कभी किसी की बदलती नही
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ये जो मोहब्बत है ना साहेब हर गम सहना सीखा दिया है
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तुम हुकम तो करो बस एक बार में समंदर से मोती चुरा लाऊंगा
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कल अपने रातों की नींद गवा के हमने कही जाके आज सुकून पाया है
कल अपने रातों की नींद गवा के हमने कही जाके आज सुकून पाया है सालो के थके थे हम कही जाके आज हमे सुकून से निंद आया है प्र
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पल पल तरसता था बस एक पल के लिए
पल पल तरसता था बस एक पल के लिए कास तू मुझे मिल जाय मेरे कल के लिए सोचता था कि तुझे मैं अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लू कम्बखत तू मिली भी मुझ
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मोम की तरह कुछ यूं पिघल रही है ये ज़िंदगी
मोम की तरह कुछ यूं पिघल रही है ये ज़िंदगी एक एक दिन हाथ से निकल रही है ये ज़िंदगी औरो को देख कर खुद की आग में जुलझ रही है ये ज़िंदगी जितन
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अभी जिया ही कहा मैने अपनी जिंदगी -मेरी जिंदगी की अभी उड़ान बाकी है
अभी जिया ही कहा मैने अपनी जिंदगी मेरी जिंदगी की अभी उड़ान बाकी है छोटे मोटे बहुत दे दिए हमने इम्तहान मेरी जिंदगी की अभी असली इम्तहान
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सोचता हु की क्यों ना हर घड़ी मै तुझसे प्यार करू
सोचता हु की क्यों ना हर घड़ी मै तुझसे प्यार करू तू जहा भी रहे मै ता उम्र बस तेरा इंतजार करू बेसक तू पास नही हैं मेरे,तेरे होने का मैं अहस
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मैं अधूरे सफर का मुसाफिर हु-मंजिल तक हमे जाना है
मैं अधूरे सफर का मुसाफिर हु, मंजिल तक हमे जाना है थक गए है चलते चलते पैर मेरे, इन पैरो का ये बहाना है कुछ करने का ठान लिया है मैने हमे कुछ
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