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कुमार किशन कीर्ति
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कुमार किशन कीर्ति
कुमार किशन कीर्ति
कुमार किशन कीर्ति
@ sana-kamara-panaedaya
, Bihar
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रोटी की कीमत
"यह कैसी रोटी बनाई हो!"इतना कहकर मोहन ने नाक सिकुड़ा।यह सुनकर उसकी मां निर्मला तो हैरान रह गई।दरअसल, मोहन को रोटी खाना पसंद नहीं था। उस �
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भालू की शादी
जंगल में शोर है, चारों ओर उत्सव है। आज भालू की शादी है, जंगल में मंगल है। देखो, बंदर कैसे नाच रहा है। खरगोश भी मिठाई बांट रहा है। ठुमु
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जल से ही हरियाली है।
जल ही जीवन है। जल से ही हरियाली है। क्यों इसे बर्बाद करते हो? क्यों नहीं तुम बात समझते हो? सोचो,अगर जल ना होता तब,जीवन कैसा होता! जब इ�
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प्रेमगीत
आओ प्रेमगीत गाएं, इन वादियों में खो जाएं। ना मैं कुछ कहूं ना तुम बोलो,बस आओ प्रेमगीत गाएं। जी चाहता है तुम्हारी नशीली आंखों में डू�
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मेरे अल्फ़ाज़
1.अगर इश्क़ हादसा है तो इससे गुजरने दो। दो दिलों को इसमें घायल होने दो। 2.तेरे हसीं चेहरे से नज़रे नहीं हटती बताओ हम क्या करें, डूब जाएं य�
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मैं तन्हा हूं।
मैं तन्हा हूं। इस महफ़िल और फिज़ाओं में इन हसीं वादियों में मैं तन्हा हूं। कभी जो ख़्वाब देखा था, इन आंखों में। आज सब कुछ फना हो गया
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सफलता
यूं ही नहीं मिलती है सफलता इसके लिए, बहुत कुछ खोना पड़ता है। कर्म करते हुए कर्मठ बनकर मेहनत खूब करना पड़ता है। जिन्होंने भी सफलता प�
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मोहब्बत करता हूं तुम्हीं से।
कैसे कह दूं तुमसे, मोहब्बत करता हूं तुम्हीं से। हसीनाओं की कमी नहीं है, पर दिल मरता है तुम्हीं पे। कभी गौर से मेरी आंखों में देखना, ओ �
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सब उदास हैं।
आज सब उदास हैं। पशु _पक्षी, पेड़ और पौधें। आज सब शांत और उदास हैं। नदी, निर्झरणी और खिलती कलियां। आज सब खोए _खोए से हैं। ये सुंदर नजारे
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समझाएं कौन!
सोचा बहुत तुमसे दिल ना लगाऊं, कमबख्त दिल को समझाएं कौन! तुम्हारी सूरत को दुनियां की नज़र ना लगे, बेशक! दुनियां को अब समझाएं कौन! तुम्ह
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