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संतोष सिंह क्षात्र

संतोष सिंह क्षात्र

संतोष सिंह क्षात्र

@ santosh-singh-akshatr
, Gujarat

माँ हिंदी का एक नन्हा बालक , अपने छोटे से प्रयास से काव्य, लेख आदि में पिछले कुछ वर्षों से जुड़ा हुआ हूं। आपके स्नेह, आशीष का आकांक्षी हूं। आशा करता हूं कि आप हमारी रचनाएं पढ़ेंगे और उसपर निष्पक्ष,उचित तथा वास्तविक टिप्पणी भी लिखेंगे। आपका हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन है। नमस्कार जी 🙏🕉️🔱 __हर-हर-महादेव__

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My Articles

सावन की घटा हूं मैं घट-घट भर दूंगी। सागर के अधरों को छूकर चहुंओर निर्भय बरसूगीं।। संजोये हूँ आस,सखी मिलन की शिराओं की पीर टटोलूगीं। read more >>
सुनो देशवासियों काम ऐसा चंद करो। पुकारती मां भारती, अराजगता अब बंद करो।। जयचंद और विभिषणों के मंसूबे अब कुंद करो। भारती के वीर उठो, read more >>
कब-तक चलेगा ऐसा, पसारे हाथ कब-तक गिड़गिड़ाओगे तुम क्या स्वयं को मुर्दा बना दिया है कहां-कहां शरण पाओगे कब-तक भीख सहायता की मांगोगे तुम read more >>
केसरिया रंगने को दौड़े ढुलमुल बढ़े दिवाकर चांदनी लजायी, हुआ गगन नारंगी मुस्कायी रश्मि, सिंदूरी दुकूल ओढ़ाकर।। प्रकृति मनमोहे बहु� read more >>
ठिठुरी पंखुड़ियां विहसने लगी कोमल कलियां हंसने लगी श्याम भ्रमर कर गया क्या कानाफूसी छिटपुट बरदिया बरसने लगी।। पलास गलियारों से स� read more >>
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