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शुभम योगेन्जुल

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बढ़ो इतना कि जितनी हो पृथ्वी की भुजाएं फैलो इतना कि आकाश के समान तुम्हारी छाया समूची पृथ्वी पर पड़े पर हो न दर्प तुम्हें अपने बढा़व,फै read more >>
हिंदी है वैज्ञानिक भाषा, जिसकी लिपि है देवनागरी। इसको तज दूजा अपनाना, जैसे कोई रिक्त गागरी।। read more >>
बढ़ो इतना कि जितनी हो पृथ्वी की भुजाएं फैलो इतना कि आकाश के समान तुम्हारी छाया समूची पृथ्वी पर पड़े पर हो न दर्प तुम्हें अपने बढा़व,फै read more >>
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