सत्ता... (कविता )
1.कागज छुती न कलम उठाती,है इसे कुर्सी पर बैठे रहने की बिमारी,
2.हां...है अंधी ,गूंगी, बहरी और लंगङी,है इसे गाङी पर बैठे रहन� read more >>
(कविता) बेरोजगार की आवाज ....
गांव गली शहरो मे चर्चे आम हो जाए,
सत्ता धारी द्वार खोले तो हम तेरे हो जाए,
तुम्ही हो भाषण, तुम्ही हो ताली,
त� read more >>
कविता (यार मेरे ...)
किस दौङ मे लग गए ना जाने दिनरात मेरे,
अपनी चाहत को दुनिया की नजर खा गयी सारी,
किस ख्वाब मे सिमट कर रह गए सुबह-शाम मेरे... read more >>
कविता -(पैर कब्र मे हैं लेकिन इस प्यार की कोई उम्र नहीं )
पैर कब्र हैं लेकिन इस प्यार की कोई उम्र नहीं
अनंत आकाश की तरह हैं,
दूर तक ज� read more >>
तुम वीर हो...
न मानो तो तुम कायर, तीर हो,
तुम मानो तो विश्व की तस्वीर हो,
तुम वीर हो राजवीर हो...
सब कुछ बिखरा है इधर उधर,कई किरदार छूटे ह� read more >>
-: नशे मे गांव 😔
कहर ढाया, मातम छाया, देखो गांव को ये क्या हो रहा,
जमकर खून रगों मे जी सूख गया... आजकल के जवानों के
मिल जाती बेकार जवानी, नाल� read more >>